2019 का पूर्ण बहुमत न बन जाए 2022 का सिरदर्द! राम मंदिर और धारा 370 बड़ी चुनौती
BJP ने संकल्प पत्र में जम्मू-कश्मीर से धारा- 370 और 35A हटाने का वादा किया है
धारा- 370, 35A और राम मंदिर पर BJP को सहयोगी दल का समर्थन नहीं
PDP और NC ने दी है BJP को खुली चुनौती
क्या इस बार अपने वादे को पूरा कर पाएगी BJP?
कांटो भरी हो सकती है BJP की यह प्रचंड जीत, धारा- 370 और राम मंदिर सबसे बड़ी चुनौती?
नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव के परिणाम में BJP नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( NDA ) को प्रचंड बहुमत मिलने जा रही है। रुझानों के मुताबिक अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ते हुए NDA करीब 350 सीटें जीतने जा रही है। इस जीत से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर BJP का हरेक कार्यकर्ता गदगद है। लेकिन, यह जीत अभी BJP को जितनी खुशियां दे रही है आने वाले समय में उतनी ही कांटो भरी हो सकती है। क्योंकि, जिस मुद्दे और वादे को लेकर पार्टी चुनावी मैदान में उतरी थी उसे पूरा करना उतना आसान नहीं। खासकर, धारा-370 और 35-A का मुद्दा जिसे पार्टी ने हर हाल में हटाने का ऐलान किया है। इसके अलावा राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर BJP के लिए सिरदर्द बन सकता है।
BJP ने धारा-370 को हटाने का किया है वादा भाजपा ने अपने ‘संकल्प पत्र’ में दोबारा सत्ता में आने पर जम्मू कश्मीर से धारा-370 और 35ए हटाने का वादा किया है। पार्टी का साफ कहना था कि अगर बीजेपी दोबार सत्ता में आई तो जम्मू-कश्मीर से हर हाल में धारा- 370 को हटाया जाएगा। हालांकि, जिस दिन भाजपा ने इस बात का ऐलान किया उसी दिन से इस पर विरोध शुरू हो गया। जम्मू कश्मीर की बारामूला लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार मोहम्मद मकबूल वार ने अगले दिन ही कहा कि कश्मीर से धारा-370 और 35ए को कभी भी नहीं हटाया जा सकता। उन्होंने इस वादे को साफ नकार दिया।
अमित शाह ने कई बार धारा- 370 हटाने का किया ऐलान लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह जहां-जहां गए धारा- 370 और 35A का जिक्र जरूर किया। उन्होंने कई चुनावी सभाओं में खुलकर कहा कि दोबारा सत्ता में आने पर हम जम्मू-कश्मीर से धार- 370 और 35A को हटा कर रहेंगे। कई चुनावी सभाओं में अमित शाह ने यहां तक कहा कि आप हमें इस बार जिताएं तो हम जम्मू-कश्मीर से धारा- 370 और 35A हटा देंगे।
धारा-370 पर सहयोगी दल अलग इस चुनाव में बीजेपी के साथ-साथ उसके सहयोगी दलों ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है। खासकर, बिहार में बीजेपी के सहयोगी दल जनता दल यूनाइटेड ( JDU ) का भी प्रदर्शन काफी जबरदस्त रहा। लेकिन, इस चुनाव में जेडीयू ने अपना घोषणापत्र तक जारी नहीं किया। विपक्ष का आरोप था कि कुछ मुद्दों पर बीजेपी, जेडीयू के ऊपर दबाव बना रही है। लिहाजा, जेडीयू ने अपना घोषणापत्र जारी नहीं किया। इस मामले में पत्रिका डॉट काम ने भी जेडीयू के नेताओं से बात की थी। बातचीत के दौरान जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक से जब इस मामले में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि हमारे पास कुछ नया मुद्दा नहीं है। हालांकि, धारा- 370 और 35A पर जेडीयू, बीजेपी को समर्थन करने के लिए तैयार नहीं है। अजय आलोक ने साफ कहा था कि धारा-370 और 35ए पर हम बीजेपी के साथ नहीं है। उन्होंने यहां तक कहा कि जम्मू-कश्मीर से धारा- 370 और 35A नहीं हटनी चाहिए। लिहाजा, बीजेपी के लिए धारा- 370 और 35A हटना इतना आसान नहीं।
PDP और NC ने दी धमकी चुनाव के दौरान धारा- 370 और 35A पर जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ( PDP ) और नेशनल कॉन्फ्रेंस ( NC ) के नेताओं बीजेपी का खुलकर विरोध किया। पीडीपी मुखिया महबूबा मुफ्ती ने साफ कहा था कि जम्मू-कश्मीर से धारा- 370 और 35A हटाया गया तो कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं रहेगा। उन्होंने धमकी दी कि इन धाराओं के साथ छेड़छाड़ किया गया तो तिरंगा को कांधा देने के लिए कोई नहीं मिलेगा। वहीं, पीडीपी का समर्थन करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर बीजेपी का विरोध किया। उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि अगर धारा- 370 और 35A को हटाया गया तो कश्मीर में भी अलग वीजर-ए-आजम होना चाहिए। चुनाव प्रचार के दौरान पीडीपी और एनसी घाटी में इस मुद्दे को जमकर उठाया। ऐसे में अब सवाल उठाता है कि बीजेपी किस तरह जम्मू-कश्मीर से धारा- 370 और 35A को हटाएगी। या फिर यह मुद्दा बीजेपी के लिए कहीं चुनावी स्टंट तो नहीं? इन सबका जवाब आने वाले समय में ही पता चलेगा कि क्या सच में बीजेपी जम्मू-कश्मीर से धारा- 370 और 35A हटाने के लिए प्रतिबद्ध है?
राम मंदिर का मुद्दा भी बन सकता है परेशानी का सबब 2014 लोकसभा चुनाव में BJP ने राम मंदिर का मुद्दा काफी जोर-शोर से उठाया था। पूरे चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लकेर पार्टी के हरेक नेताओं इस मुद्दे को हवा दी और अपने मकसद में कामयाब भी हुई। केन्द्र में पूर्ण बहुमत के साथ एनडीए की सरकार भी बन गई। लेकिन, पांच साल के कार्यकाल में भाजपा ने एक बार भी मुद्दे पर बात नहीं की। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया।
यूपी विधानसभा चुनाव में भी गरमाया था राम मंदिर का मुद्दा यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान योगी आदित्यानाथ ने भी इस मुद्दे को उठाया और पार्टी ने विधानसभा चुनाव में प्रंचड जीत हासिल। योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में कई बार भव्य आयोजन भी किए। दीपावली में योगी आदित्यनाथ ने लाखों की संख्या में दीप जलाए और फैजाबाद का नाम तक बदलकर अयोध्या कर दिया। लेकिन, तब भी मोदी सरकार खामोश रही। अपने पांच साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार भी अयोध्या का दौरा नहीं किया। परिणाम यह हुआ कि अयोध्या के साधु-संत, विश्व हिन्दू परिषद के नेता बीजेपी के काफी नाराज हो गए और इस मामले में अध्यादेश लाने की मांग की। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र ने साफ कहा कि मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है। कोर्ट का जो फैसला होगा उसी के अनुसार आगे कार्रवाई की जाएगी।
चुनाव प्रचार के लिए अयोध्या पहुंचे थे पीएम फैजाबाद में मतदान से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रचार के लिए अयोध्या पहुंचे। लेकिन, उन्होंने एक बार भी राम मंदिर का जिक्र नहीं किया और न ही पूजा-पाठ के लिए मंदिर गए। जबकि, कयास लगाया जा रहा था कि इस मुद्दे पीएम मोदी कुछ बोलेंगे। लेकिन, इस बार भी लोगों निराशा ही हाथ लगी। हालांकि, इस चुनाव में अयोध्या नगरी के लोगों ने एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी पर भरोसा जताया है। पार्टी के उम्मीदवार भोलू राम यहां से चुनाव जीत रहे हैं। अब देखना यह है कि जिन दो मुद्दों को भाजपा हमेशा गर्मजोशी के साथ उठाती है, इस बार उनपर अमल होगा या फिर हर बार की तरह इस बार भी यह केवल चुनावी स्टंट तक ही सीमित रह जाएगा।
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