फैसले को दरकिनार कर ऑपरेटर्स ने जिला प्रशासन को डीजल-पेट्रोल महंगे होने का हवाला देकर किराया बढ़ाने का दावा किया है। अपर कलेक्टर दिशा नागवंशी ने कहा है कि इस प्रस्ताव पर किराया बढ़ाने वाली प्रशासनिक समिति ही फैसला लेगी। ऑपरेटर ने बिना मंजूरी के ज्यादा किराया वसूला तो कानूनी कार्रवाई करेंगे। इधर, जमीनी हकीकत दावों से उलट है।
प्रशासन को सौंपी गई किराया सूची के अनुसार 1 से 20 किमी दूरी के लिए बसों का किराया 1050 रुपए तय है, पर 1200 तक वसूल रहे हैं। 1 से 20 किमी तक वैन ऑपरेटर एसोसिएशन 800 रुपए वसूलने का दावा करती है पर पैरेंट्स से 1400 तक वसूल रहे हैं।
बीच साल में किराया क्यों बढ़ाया जा रहा है।
साल में एक बार वृद्धि का फैसला हुआ था, लेकिन कलेक्टर ने पिछले साल बढ़ी हुई दरें जारी नहीं की।
किराया सूची की बजाए पहले ही ज्यादा वसूली की जा रही है।
ये वसूली हम नहीं, बल्कि वैन-मैजिक को पीला रंग कर चलाने वाले ड्राइवर कर रहे हैं, जो अवैध है।
प्रशासनिक समिति ने आपकी दरें मंजूर कर ली हैं क्या।
साल में एक बार किराया बढ़ाने की बात तय हो चुकी थी, इसलिए ये वृद्धि कर रहे हैं।
किमी वर्तमान किराया
1 से 20 1050 रुपए
21 से 30 1200 रुपए
30 से 50 1700 रुपए
50 से 70 1800 रुपए
70 से 100 1900 रुपए
वैन ऑपरेटर्स की किराया सूची
बच्चों की संख्या तय करती है प्रति सीट किराया
कोई ज्यादा वसूली करे तो सूचना दें स्कूल बस-वैन ऑपरेटर्स ने साल में केवल एक बार किराया बढ़ाने की शर्त मानी है। यदि पिछले साल किराया नहीं बढ़ा तो भी नई दरों पर प्रशासनिक समिति विचार करने के बाद फैसला करेगी। समिति में कलेक्टर, आरटीओ, पैरेंट्स और ऑपरेटर्स प्रतिनिधि शामिल रहते हैं। ऐसे एक ज्ञापन देकर मनमाने तरीके से किराया नहीं बढ़ा सकते। यदि कोई ज्यादा वसूली करे तो सूचना फौरन जिला प्रशासन को दें।
दिशा नागवंशी, अपर कलेक्टर