किसी के लिए संजीवनी, तो किसी के लिए सबक
पांच में से तीन हिंदी भाषी राज्यों में जिस तरह राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस ने वापसी की है वो किसी संजीवनी से कम नहीं है, क्योंकि प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र में आने के बाद बीजेपी से पंचायत चुनाव, नगर निकाय चुनाव और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार हो रही थी। ऐसे में राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवालिया निशान खड़े हो रहे थे। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के करीब एक साल बाद पार्टी को मिली इस जीत ने जहां कांग्रेस में नई जान फूंक दी है तो वहीं बीजेपी के लिए ये हार एक सबक बनेगी।
राजनीतिक नक्शे से कम हुआ भगवा रंग
‘कांग्रेसमुक्त’ भारत का नारा देने वाली मोदी और अमित शाह की विजय जोड़ी को इससे पहले पंजाब और कर्नाटक में भी हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन उस हार के मायने कुछ और थे। दरअसल पंजाब में बीजेपी के साथ अकाली दल की सरकार थी और सीएम की कुर्सी अकाली दल के पास थी। वहीं कर्नाटक में कांग्रेस ही सत्ता में थी, जहां कम सीटों जीतने के बाद भी बीजेपी सत्ता में आई और कुछ ही घंटों में बेदखल हो गई। ताजा हार के साथ ही देश के राजनीतिक नक्शे से भगवा रंग कुछ कम हुआ है।
ढह गया रमन का गढ़ छत्तीसगढ़
पिछले 15 साल से छत्तीसगढ़ में चला आ रहा भगवा राज खत्म हो गया है। यहां खत्म होने की कगार पर पहुंच चुकी कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी की है। बीजेपी के युवा मुख्यमंत्रियों के गिने जाने वाले ‘चाउर बाबा’रमन सिंह अब सत्ता से बेदखल होने जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश में नहीं चला मामा का तिलिस्म
छत्तीसगढ़ की तरह मध्य प्रदेश में भी बीजेपी सत्ता से बाहर होने जा रही है। चुनावी नतीजे बेशक कांटे की टक्कर वाले हैं लेकिन अंतिम रुझान ये स्पष्ट कर रहे हैं कि शिवराज ‘मामा’को हिेंदुस्तान का दिल कहे जाने वाले प्रेदश की कमान अब कांग्रेस को सौंपनी पड़ेगी।
राजस्थान में भी खत्म हुआ वसुंधरा का राज
राजस्थान में चुनावों से पहले शीर्ष नेतृत्व की नाराजगी और जनता के गुस्से का वसुंधरा को सामना करना पड़ा। हालांकि यहां हर पांच साल में सरकार बदलने का ट्रेंड भी है।