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जम्‍मू-कश्‍मीर: लोकसभा में अमित शाह ने पेश किया राष्‍ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्‍ताव

Home Minister Amit Shah ने सभी दलों से प्रस्‍ताव का समर्थन करने की अपील की
Jammu-Kashmir में अभी तक लागू हो चुका है 7 बार राज्‍यपाल शासन
जनहित में राष्‍ट्रपति शासन को बढ़ाना जरूरी

Jun 28, 2019 / 03:58 pm

Dhirendra

Amit Shah

नई दिल्‍ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( home minister amit shah ) ने लोकसभा ( Lok Sabha ) में जम्‍मू-कश्‍मीर ( Jammu-Kashmir ) में छह महीने के लिए राष्‍ट्रपति शासन बढ़ाने को लेकर एक प्रस्‍ताव पेश किया। उन्‍होंने सदन को बताया कि राज्‍य के हालातों को देखते हुए राष्‍ट्रपति शासन ( President’s Rule ) को आगामी छह महीने के लिए बढाना जरूरी है। बता दें कि जम्‍मू-कश्‍मीर में सात बार राज्‍यपाल शासन लग चुका है।

 

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सभी से प्रस्‍ताव का समर्थन करने की अपील

उन्‍होंने ( Home Minister Amit Shah ) सभी दलों से अपील की है कि जम्‍मू-कश्‍मीर की जनता के हित में इस प्रस्‍ताव का समर्थन करें। ताकि जम्‍मू-कश्‍मीर ( Jammu-Kashmir ) में जनहित में जरूरी कार्य जारी रहे। उन्‍होंने कहा कि जम्‍मू-कश्‍मीर में विधानसभा चुनाव कराने का समय अभी तय नहीं है।

 

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जम्‍मू और लद्दाख की हुई उपेक्षा

उन्‍होंने ( Home Minister Amit Shah ) कहा कि केंद्र सरकार ने एक साल के अंदर जम्‍मू-कश्‍मीर ( Jammu-Kashmir ) में कई कदम उठाए हैं। कश्‍मीर में कानून व्‍यवस्‍था नियंत्रण ( Law and Order ) में है। सरकार ने शांति बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। पहले जम्‍मू और लद्दाख की उपेक्षा होती थी। हमारी सरकार ने जम्‍मू और लद्दाख में विकास कार्यों को बढ़ावा देने का काम किया है। उन्‍होंने कहा कि विगत एक वर्ष के दौरान 4 हजार पंचायत में 40 हजार पंच चुने गए। इसके साथ ही शहरी निकायों के चुनाव भी कराए गए हैं।

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बिगड़े हालात के लिए भाजपा और पीडीपी जिम्‍मेदार

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में कहा कि 2005 से 2008 तक कश्मीर के हालात सबसे अच्‍छे थे। कांग्रेस की सरकार ने वाजपेयी की नीतियों को आगे बढ़ाया था। कश्मीर में फिर चुनाव हुए और कांग्रेस-एनसी की सरकार बनी थी। 2014 में एनडीए की सरकार बनने के बाद राज्य में चुनाव हुए और भाजपा ने पीडीपी के साथ मिलकर सरकार बनाए।
यह गठबंधन असफल साबित हुआ। कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के हालात भाजपा और पीडीपी के गठबंधन की असफलता की वजह से बने हैं। तिवारी ने कहा कि आतंकवाद से आप सख्ती से निपटें मैं तो खुद इसका भुक्तभोगी हूं। आतंकवाद के खिलाफ आपकी किसी कठोर नीति का हम विरोध नहीं करते। आतंकवाद के खिलाफ जंग तभी जीती जा सकती है जब लोग आपका साथ देंगे।

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