भाजपा ने ऐसा करने के लिए मजबूर किया
असम गण परिषद (एजीपी) के अध्यक्ष अतुल बोरा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उनकी अगुवाई में एजीपी का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिला था। मुलाकात के दौरान एनआरसी विधेयक में इस चीज को शामिल नहीं करने पर जोर दिया था। साथ ही इस बात से भी अवगता करा दिया था कि इस पहलू को विधेयक में शामिल करने की स्थिति में एजीपी गठबंधन तोड़ सकता है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि हमने भाजपा नेतृत्व को विधेयक के नकारात्मक प्रभाव और असम की जनता का रुख समझाने की पूरी कोशिश की लेकिन भाजपा ने विधेयक को आगे बढ़ाने का फैसला कर हमें गठबंधन तोड़ने के लिए मजबूर कर दिया।
एजीपी के अध्यक्ष अतुल बोरा ने कहा कि नागरिकता विधेयक पर हमने लंबी जंग लड़ी है। हमने सड़कों पर प्रदर्शन किया और हम विभिन्न राजनीतिक दलों और जेपीसी के सदस्यों से मिले। हमने इस विधेयक को सरकार का हिस्सा बनने से रोकने के लिए पूरी कोशिश की। लेकिन भाजपा ने अब इसके पक्ष में आगे बढ़ने का निश्चय कर लिया है तो हमारे पास गठबंधन से बाहर जाने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि 2016 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन समय की मांग थी।
आपको बता दें कि 126 सदस्यों वाली असम विधानसभा में भाजपा के 61 सदस्य हैं। उसे एक निर्दलीय विधायक का समर्थन प्राप्त है जबकि इसके सहयोगी बीपीएफ के 13 सदस्य हैं। एजीपी के 14 विधायक हैं। कांग्रेस के 24 तथा एआईयूडीएफ के 13 सदस्य हैं।