बता दें कि हाल ही में जानकारी मिली है कि कैप्टन की नई पार्टी और भाजपा के बीच पंजाब विधानसभा साथ में लड़ने पर सहमति बन गई है। अब दोनों पार्टियां राज्य के चुनाव में साथ उतरेंगी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से तुरंत पहले कांग्रेस का हाथ छोड़कर अलग पार्टी बनाने वाले कैप्टन, कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। अब पंजाब में कांग्रेस से असंतुष्ट नेताओं के पास एक नया विकल्प हैं। वहीं कैप्टन के करीबियों का इस चुनाव में उनका साथ देना तय है।
बता दें कि पूर्व सीएम कैप्टन ने 14 दिसंबर को कांग्रेस के कई पूर्व सांसद और पूर्व विधायकों को पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। कांग्रेस पूर्व सांसद अमरीक सिंह अलीवाल, पूर्व विधायकों हरजिंदर सिंह ठेकेदार, प्रेम मित्तल, फरजाना आलम और राजविंदर कौर भागिके ने पंजाब लोक कांग्रेस का दामन थामा था। इसके साथ ही कई और स्थानीय नेताओं ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़कर कैप्टन की नई पार्टी में शामिल हो गए हैं। माना जा रहा है कि अभी कैप्टन कांग्रेस को और नुकसान पहुंचा सकते हैं।