2017 विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और जीत हासिल नहीं कर पाई। सपा को नुकसान उठाना पड़ा । वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को 224 सीटों पर जीत हासिल हुई लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव में मात्र 47 सीटों पर आकर सिमट गई। जबकि सपा और कांग्रेस का गठबंधन था. सपा ने कांग्रेस को 114 सीटें दी थी लेकिन कांग्रेस सिर्फ 7 सीटें ही जीत सकी।
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सपा और बसपा का गठबंधनवहीं 2019 लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश और माया साथ सबको चौंका दिया था । माना जा रहा था कि दोनों घोर विरोधी दल एक साथ नहीं आएंगे। मोदी की लहर रोकने के लिए सपा और बसपा ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा लेकिन सपा को इसका कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि नुकसान ही झेलना पड़ा । सपा से ज्यादा बसपा की सीट आई। लोकसभा चुनाव के बाद बसपा सुप्रीमों ने सपा से गठबंधन तोड़ दिया था।
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विधानसभा चुनाव के बाद सपा के गठबंधन सहयोगी रहे शिवपाल सिंह यादव, भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर और महान दल के केशव मौर्य ने सपा से अपना गठबंधन छोड़ दिया है।कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता पर वहीं विराजमान होगा जिसे यूपी बैठाएगा। यूपी में लोकसभा सर्वाधिक सीटें हैं। इसलिए यूपी में एक मजबूत होगा तभी बीजेपी को टक्कर दिया जा सकता है। तभी तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश ने जब एनडीए का साथ छोड़कर राजद से मिलकर सरकार बनाई और 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी में लग गए। नीतीश कुमार को भी पता है कि अगर दिल्ली जाना है तो यूपी में जीतना होगा। इसलिए वह दिल्ली आ करके सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलते हैं और कहते हैं कि अखिलेश यूपी में गठबंधन को लीड करेंगे । इसके अलावा बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी अखिलेश, नीतीश , हेमंत और के0सीआर के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बात करती है।