विधायक समेत सभी पर 2010 में देवघर के उपायुक्त कार्यालय में एक प्रदर्शन के दौरान हंगामा, मारपीट और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने को लेकर तत्कालीन अंचलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर चौधरी ने मामला दर्ज कराया था।
साक्ष्य के अभाव में हुए बरी
मामले में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता प्रतीक झा और सरकार की ओर से सहायक लोक अभियोजक खुशबुद्दीन अली ने बहस में हिस्सा लिया। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं कर पाया। न्यायालय ने साक्ष्य के अभाव में विधायक समेत सभी 14 आरोपियों को बरी कर दिया।
हंगामा, तोड़फोड़ और राजकार्य में बाधा का था मामला
बचाव पक्ष के अधिवक्ता से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2010 में झारखंड विकास मोर्चा के बैनर तले देवघर उपायुक्त कार्यालय के बाहर किसानों को सुखाड़ का राहत दिलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। प्रदर्शन के बाद देवघर के तत्कालीन अंचलाधिकारी सिद्धार्थ शंकर चौधरी की शिकायत पर देवघर नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज किया गया था। इसमें झाविमो के आंदोलन के दौरान उपायुक्त कार्यालय में जमकर हंगामा करने, तोड़फोड़ और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाया गया था।
दर्ज प्राथमिकी में सारठ के भाजपा विधायक रणधीर सिंह उनके समर्थक बलदेव दास, नागेश्वर सिंह, दिनेश मण्डल, सहीम खान, विपिन देव, मणिकांत यादव, गोविंद यादव, बिंदु मण्डल समेत 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था।
विधायक ने किया फैसले का स्वागत
विधायक रणधीर कुमार सिंह ने कहा कि न्यायालय पर पूरा भरोसा है। उन्होंने न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उन सभी पर बिल्कुल निराधार आरोप लगाया गया था। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष आरोप सिद्ध नहीं कर सका। इस आधार पर कोर्ट ने उनके साथ सभी 14 आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया है।