ये भी पढ़ें- यहां तीन किलोमीटर के दायरे में विराजमान हैं तीन प्रमुख देवियां, नवरात्रि में जरूर जाएं मां पीतांबरा का ये सिद्धपीठ मध्यप्रदेश के दतिया में स्थित है। इसकी स्थापाना 1935 में स्वामी जी ने किया था। चर्तुभुज रूप में विराजमान मां पीतांबरा के एक हाथ में गदा, दूसरे में पाश, तीसरे में वज्र और चौथे हाथ में उन्होंने राक्षस की जिह्वा थाम रखी हैं।
ये भी पढ़ें- अर्धरात्रि के बाद जो भी यहां करता है मां के दर्शन, उसे साक्षात भगवती का प्राप्त होता है आशीर्वाद माना जाता है कि मां बंग्लामुखी ही पीतांबरा देवी हैं इसलिए उन्हें पीली वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु मां के दर्शन एक छोटी सी खिड़की से करते हैं। मान्यता है कि अगर मां पीतांबरा की विधि-विधान से अनुष्ठान कर लिया जाए, तो मां जल्दी ही सभी मनोकामनाएं पूरी कर देती हैं। यही कारण है कि राजसत्ता की कामना रखने वाले भक्त यहां आकर गुप्त अर्चना करते हैं। इसलिए इन्हें राजसत्ता की देवी कहा जाता है।
ये भी पढ़ें- दुनिया का इकलौता माता शारदा का मंदिर, जहां रात में कोई नहीं रूकता यहां आने वाले भक्तों को मां पीतांबरा के अलावा खंडेश्वर महादेव और धूमावती के दर्शन करते हैं। खंडेश्वर महादेव की तांत्रिक रूप में यहां पूजा होती है जबकि मां धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक हैं। मां धूमावती के दर्शन सिर्फ आरती के समय ही किया जा सकता है, क्योंकि अन्य समय में मंदिर के कपाट बंद रहते हैं।