गरीब नवाज के नाम से मशहूर महान संत सफी हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थित दरगाह इस बात का प्रमाण है कि यहां से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटा। यही कारण है कि यहां मुसलमान के साथ-साथ दूसरे समुदाय के लोग भी इस दरगाह पर पहुंचते हैं और चादरपोशी कर मन्नत मांगते हैं। इसका उदाहरण है ख्वाजा के पवित्र आस्ताने में राजा मानसिंह द्वारा लगाया गया कटहरा, ब्रिटिश महारानी मेरी क्वीन का अकीदत के तौर पर बनवाया गया वजू का हौज। यही कारण था कि प्रख्यात अंग्रेज लेखक कर्नल टाड ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि ‘मैंने हिन्दुस्तान में एक कब्र को राज करते देखा है।’
कहा जाता है कि यहां हर हर दिन अनुमान के मुताबिक 22-22 हजार जयरीन अजमेर आते हैं। बताया जाता है कि इनमें सबसे ज्यादा गैर मुस्लिमों की संख्या होती है। अनुमान के मुताबिक यहां गैर मुस्लिमों की संख्या लगभग 60 फीसद से ज्यादा होती है। इससे हम कह सकते हैं महान संत सफी हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की अजमेर स्थित दरगाह पर सबसे ज्यादा हिन्दू आते हैं। कहा जाता है कि इसे पीछे ख्वाजा गरीब नवाज की इबादत, मेहनत और कर्म है, जो सभी धर्म-समुदाय के लोग मानते हैं।
इसीसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज की तारीख में पूरे विश्व में धर्म के नाम पर संघर्ष के बावजूद पूरे विश्व से सभी तरह के विचार रखने वाले धर्म के अनुयायी बड़ी संख्या में ख्वाजा के दर पर आते हैं और अकीदत का नजराना पेश करते हैं। दरअसल, सूफीवाद में एक इश्वर की उपासना माना जाता है। सूफी को किसी एक धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाता है। यही कारण है कि लगभग 800 साल से ख्वाजा के दर पर सभी धर्मों के लेग बराबर अपनी आस्था रखते आ रहे हैं। शायद यही कारण है कि ख्वाजा साहब सर्वधर्म सद्भाव की दुनिया में एक ऐसी मिसाल हैं, जिसका कोई सानी नहीं है।