इससे पहले Gangotri और यमुनोत्री के बाद सोमवार तड़के Kedarnath dham के कपाट भी खोल दिए गए। बद्रीनाथ के कपाट खुलने के अलावा मंगलवार को ही भैरवनाथ के कपाट भी खोल दिए गए। भैरवनाथ का मंदिर केदारनाथ से तीन किलोमीटर दूर पड़ता है और केदरनाथ के कपाट खुलने के बाद भैरवनाथ के कपाट खोले जाते हैं।
Bheravnath को केदारनाथ का क्षेत्र रक्षक माना जाता है। भैरव नाथ के कपाट खुलने के बाद अब केदारनाथ की आरती शुरु हो सकेगी, क्योंकि जब तक भैरवनाथ के कपाट न खुले तब तक केदारनाथ की आरती नहीं होती है।
जानकारी के अनुसार बद्रीविशाल धाम के कपाट पुष्य नक्षत्र और वृष लग्न में धार्मिक परम्पराओं के साथ मंगलवार को ब्रह्ममुहूर्त में 4:15 बजे खोल दिए गए। वहीं कोविड-19 को देखते हुए भक्तों के लिए भगवान बद्रीविशाल जी की यात्रा और दर्शन पर रोक लगी हुई है। यहां केवल पुजारी-रावल व देवस्थानम बोर्ड के सदस्य ही मंदिर की व्यवस्थाओं को संभालने के लिए बद्रीनाथ धाम में रुक सकेंगे।
इस अवसर पर यानि मंगलवार को भगवान बद्रीविशाल की विशेष पूजा-अर्चना कर Corona Pendemic से पूरे विश्व को निजात पाने की प्रार्थना की गई। यहां प्रतिदिन भगवान बद्रीविशाल जी का अभिषेक और पूजा-आरती निरन्तर चलती रहेंगी। बताया जाता है कि धाम में पहली पूजा और महाभिषेक पीएम नरेंद्र मोदी ओर से किया गया। इस दौरान उनकी ओर से विश्व कल्याण और आरोग्यता की भावना से पूजा-अर्चना एवं महाभिषेक समर्पित किया गया।
मंदिर के कपाट खुलने की प्रक्रिया सुबह करीब 3 बजे से शुरु हो गई थी, इस दौरान तेल कलश यात्रा के साथ ही Shakracharya की गद्दी और कुबेर व उद्धव की डोली बदरीनाथ धाम पहुंची। दरअसल सोमवार सुबह 9 बजे योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से Badrinath dham के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी के साथ कुबेर व उद्धव जी की उत्सव डोली और आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी बदरीनाथ धाम के लिए रवाना हुई जो पूर्वाह्न 11 बजे धाम पहुंची गई। जिसके बाद मंगलवार को ब्रह्मामुहूर्त 4:15 बजे धाम के कपाट खोल दिए गए।
Corona infection को देखते हुए सरकार ने चार धाम यात्रा फिलहाल स्थगित की हुई है, लेकिन धामों के कपाट निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही खोले जा रहे हैं। पंरपरा के अनुसार, तृतीय केदार तुंगनाथ और चतुर्थ केदार रुद्रनाथ के कपाट भी खोल दिए गए, जबकि द्वितीय केदार मध्यमेश्वर के कपाट 24 मई को खोले जाएंगे।
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुले इस अवसर पर कुछ ही लोग अखंड ज्योति के गवाह बने। वहीं रावलजी द्वारा गर्भगृह में प्रवेशकर मां लक्ष्मी को उनके परिक्रमा स्थित मंदिर में विराजमान किया इसके बाद भगवान के सखा उद्धवजी और देवताओं के खजांची श्री कुबेरजी गर्भगृह में विराजमान हो गए। भगवान बद्रीविशाल के अभिषेक के लिए राजमहल नरेन्द्र नगर से लाये गए तेल कलश( गाडू घड़ा) को गर्भ गृह मे़ समर्पित किया।
बद्रीनाथ के कपाट खोलते समय भगवान बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरप्रसाद नमूदारी और धर्माधिकारी, वेदपाठी व पूजारीगण, देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी उपस्थित रहे। साथ ही देवस्थानम बोर्ड के अधीनस्थ मंदिरों के अलावा श्री आदिकेदारेश्वर, श्री शंकराचार्य मंदिर के कपाट भी धार्मिक परम्पराओं के अनुसार पूजा-अर्चना के साथ खोल दिए गए।
इससे पहले ठीक एक दिन पहले ही यानि सोमवार 17 मई 2021 को दुनिया के एकमात्र जागृत महादेव यानि केदारनाथ के कपाट सुबह 5 बजे खोले गए थे। इस समय यहां कुल करीब 53 लोग ही मौजूद रहे थे। केदारनाथ मंदिर के मुख्य द्वार खुलने के बाद कोरोना को देखते हुए आम भक्तों का मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित दिया गया।