मंदिर की मुख्य मूर्ति माता कौशल्या की है और यह मंदिर ‘कौशल्या मंदिर’ के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसा मंदिर देशभर में कहीं नहीं है। मंदिर के गर्भगृह में कौशल्या माता की गोद में बालरुप में रामजी विराजमान हैं।
हम जिस प्राचीन और अद्भुत मंदिर की बात कर रहे हैं, वह मंदिर छत्तीसगढ़ के चंद्रखुरी में स्थित है। मंदिर में माता कौशल्या-श्रीराम के अलावा शिव जी और नंदी की प्रतिमाएं भी स्थापित है। वहीं, मंदिर के मुख्य द्वार पर हनुमान जी की विशाल प्रतिमा लगी हुई है।
मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता है कि यहां पर सीताफल का एक खास पेड़ लगा हुआ है, जिसे ‘मन्नत का पेड़’ कहा जाता है। लोगों का मानना है कि इस मन्नत के पेड़ पर पर्ची में अपना नाम लिखकर उसे श्रीफल के साथ बांधने से मुरादें पूरी हो जाती है।
कहा जाता है कि जब रावण का वध कर के भगवान श्रीराम वापस अयोध्या आए तो सुषेण वैद्य भी उनके साथ आ गए और यहीं पर उन्होंने अपने प्राणों का त्याग किया, इसलिए उनकी समाधि यहां बनाई गई।