हालात ये कि प्रशासन मूकदर्शक बना रहा और लोग सड़कों पर उतरकर बाजार बंद करा नारेबाजी करते रहे। सहरसा, बख्तियारपुर, मधेपुरा, मुरलीगंज, बिहारीगंज, उदाकिशुनगंज, सिंहेश्वर जैसे दर्जनों बाजार और शहरों कस्बों में मंगलवार को सन्नाटा पसरा रहा।
दरअसल बिहपुर-वीरपुर सौ किमी सड़क संख्या-106 और महेशखूंट-पूर्णियां दो सौ किमी सड़क संख्या 107 केंद्रीय मंत्री वीसी खंडूरी के हाथों वाजपेयी सरकार में ही राष्ट्रीय राजमार्ग बना दिया गया। लेकिन कागजों में बने राष्ट्रीय राजमार्ग को राज्य सरकार ने न तो हाथ लगाया न ही केंद्र ने निर्माण की सोची। इतने सालों में सड़कें जानलेवा गड्ढे बन गई। पिछले दिनों सहरसा आए मुख्य न्यायाधीश ने संज्ञान लेकर सरकार से जवाब तलब किए पर किसी ने तब भी निर्माण की पहल नहीं की।
हारकर आम लोगों ने खुद ही आंदोलन खड़ा कर दिया। तेरह अगस्त से हुई शुरुआत का असर मंगलवार को भयंकर वीरानगी के रूप में सामने आया। बंद करने वालों ने ऐलान किया है कि ‘सड़क नहीं नेताओं को सम्मान नहीं।’ देखना होगा कि कोसी की जनता का यह आक्रोश आगे क्या रूप दिखाता है