हादसा: चाय बनाते समय गैस सिलेंडर में लगी आग, झुलसे लोग, सारा सामान जलकर राख
पूछताछ में कन्हैयालाल ने बताया कि उसके ऊपर बैंक व लोगों का काफी कर्जा हो रखा था। जिससे छुटकारा पाने के लिए उसने पहले अलग-अलग बीमा कंपनियों में अपना लाखों रुपए का इंश्योरेंस करवाया। जिसमें उसने नॉमिनी अपने भाई ताराराम और भाभी विमला को बनाया। फिर इंश्योरेंस कंपनियों को धोखा देने के लिए खुद के मरने की साजिश रची। इसके लिए उसने 21 अक्टूबर को शमशान घाट से दफन मदन प्रजापत के शव को बाहर निकाला। बाद में अपने साथी महेन्द्र उर्फ कालू पुत्र गजाराम मीणा की सहायता से छिपते छिपाते शव को सेंदला नदी के पास लाए। यहां उन्होंने शव को जलाकर खुद की मोटरसाइकिल और जूते छोड़कर भाग गए। फिर खुद के मरने का नाटक कर अहमदाबाद में जाकर छिप गया। जिससे पुलिस और इंश्योरेंस कंपनियां यह समझे कि कन्हैयालाल मर गया तथा क्लेम का पैसा उसके परिजनों को मिल सके। पुलिस मामले की पड़ताल में जुटी है।खुद की शादी का कार्ड बांटने जा रहे दूल्हे की दर्दनाक मौत, 10 दिन बाद होनी थी शादी, मातम में बदली खुशियां
अहमदाबाद के होटल में कर रहा था नौकरी
कन्हैयालाल अहमदाबाद के एक होटल में काम करता था। इसी दौरान वह कर्ज में डूब गया। पुलिस को आशंका थी कि कन्हैयालाल ने खुद को मरा साबित करने की साजिश रची होगी।