सिवास गांव एक मात्र गांव होगा जहां पर कोई भी दो मंजिला घर नहीं है। बताया जाता है कि गांव स्थित महाकाली मंदिर के अग्र भाग पर झरोखा होने के कारण सिवास गांव में कोई भी व्यक्ति अपने घर के अग्र भाग पर दुमंजिला निर्माण नहीं कराते हैं। बताया जाता है कि 17वीं शताब्दी में वाणी गांव के ठाकुर शिवनाथसिंह अपनी पलटन के साथ जोधपुर जा रहे थे। पलटन के थक जाने पर एवं संध्या का समय हो जाने के कारण सिवास गांव के पश्चिम भाग में छातेदार फैले वृक्ष एवं स्वच्छंद वातावरण को देख ठाकुर ने तालाब का किनारे अपनी फौज को रोक दिया।
विश्राम के समय ठाकुर शिवनाथसिंह को दिव्य स्वप्न की अनुभूति हुई और आभास हुआ कि देवी काली मां ने मुझसे आह्वान किया है कि यहां छुरी गाढ दी जाए तो मनोवांछित फल मिलेगा। ठाकुर ने यह रहस्य सिवास गांव के राजपुरोहितों को बताया। छुरी गाढ़कर मन्दिर घट स्थापना की बात कही, लेकिन राजपुरोहितों द्वारा मना करने पर उन्हें समझाकर सेवतलाव गांव में स्थनान्तरित करवाया। जो वर्तमान में मुण्डारा के पास बसा हुआ है। 1760 ईस्वी में ठाकुर शिवनाथसिंह ने स्वप्न में अनुभूत आदेश पर मन्दिर का निर्माण करवाया। इसके साथ ही मन्दिर के अग्र भाग पर झरोखा का निर्माण करवाया गया। गांव आबाद होने के बाद होने के बाद आज तक सिवासवासी अपने घर के अग्र भाग पर दो मंजिला निर्माण नहीं करवाते हैं।