दरअसल, जोधपुर के तात्कालीन महाराजा तखतसिंह ने तखतगढ़ बसाया। जोधपुर रियासतकाल के दौरान इस भवन में ‘हाकम’ अपनी हुकुमत चलाते थे। लोकतंत्र व्यवस्था के बाद तात्कालीन बाली तहसील के अधीन तखतगढ़ कस्बे में इस भवन को भू राजस्व निरीक्षक कार्यालय घोषित कर दिया गया। जो आज तक संचालित हो रहा है। वर्तमान में सुमेरपुर तहसील बनने से तखतगढ़ कस्बा सुमेरपुर में सम्मिलित किया गया है।
विरासत की दिलाता है याद वैसे तखतगढ़ करीब डेढ़ सौ वर्ष पुराना है। यहां पर आस-पास के गांवों से आने वाले लोगों ने अपने गांव के नाम से गलियों का नामकरण कर दिया। लेकिन, अधिकांश परिवारों के बाद में दिशावर में व्यवसाय होने के कारण वे अब यहां शादियों सहित अन्य समारोहों में आते हैं। मातृभूमि के प्रति बने प्रेम को लेकर पहुंचने वाले प्रवासियों ने भी अपनी फोटो खींचकर यादें बना रहे है।
टूटी दीवार एवं दरवाजा भवन की सार संभाल के अभाव में दीवारों से चूना उखडऩे लगा है। मुख्य दरवाजा भी टूट गया है। एक बार एक नगरवासी ने अपनी इच्छा से इसका रंगरोगन जरूर करवाया था।
मंत्री से लेकर जिला कलक्टर देख चुके हैं हालात तखतगढ़ के दौरे के दौरान प्रदेश के मंत्री से लेकर जिला कलक्टर तक इस भवन को देख चुके हैं। इनके दौरे के दौरान वाहनों से इसी भवन के दरवाजे से एक भवन में पहुंचते रहे।
देश की आजादी को दी थी सलामी देश की आजादी के बाद तखतगढ़ पुलिस ने इसी भवन के बाद सलामी दी थी। जो आज भी बुजुर्गो के मास्तिष्क पटल पर रेखांकित है। इस भवन के समीप भीतर पसरी गंदगी एवं कचरा सडांध मार रहा है।
इनका कहना है.. यह भवन रियासतकाल का है। देश की आजादी के बाद बाली तहसील के तखतगढ़ भू राजस्व निरीक्षक कार्यालय संचालित कर दिया गया है। प्रशासन को कई बार इसकी मरम्मत के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे हैं।
फूलाराम मीणा, निरीक्षक, भू राजस्व विभाग, तखतगढ़