scriptजिन पैरों के दम पर चल रही थी जिंदगी, उन्होंने मझधार में छोड़ दिया साथ | Jagdish's two legs were cut due to generia disease in pali | Patrika News
पाली

जिन पैरों के दम पर चल रही थी जिंदगी, उन्होंने मझधार में छोड़ दिया साथ

-गेनेरिया बीमारी के कारण काटने पड़े जगदीश के दोनों पैर-तीन बार पॉजिटिव आने के बाद पाली के चिकित्सकों ने जोधपुर में करवाया उपचार

पालीOct 03, 2020 / 09:02 am

Suresh Hemnani

जिन पैरों के दम पर चल रही थी जिंदगी, उन्होंने मझधार में छोड़ दिया साथ

जिन पैरों के दम पर चल रही थी जिंदगी, उन्होंने मझधार में छोड़ दिया साथ

पाली। पाली शहर की कपड़ा इकाइयों में पैरों से गूंद कर कपड़े साफ करने से जगदीश मेवाड़ा का घर चलता था, लेकिन कोरोना के कहर वाला वर्ष 2020 उसके लिए काल बनकर आया। साल शुरू होते ही एक पैर में गेनेरिया बीमारी हो गई और अहमदाबाद में ऑपरेशन कर पैर काटना पड़ा। जब वहां से लौटा तो दूसरा पैर भी इसी बीमारी से ग्रसित हो गया और पैर में कीड़े पर गए। आज वह पैर भी काट दिया गया है और वह पाइ-पाइ को मोहताज है। राहत सिर्फ इतनी है कि विधायक ज्ञानचंद पारख व मेवाड़ा समाज के अध्यक्ष जयनाराण कड़ेचा ने उसका उपचार कराने में सहयोग किया, लेकिन अब अस्पताल में भर्ती जगदीश की पत्नी व बच्चों का पालन-पोषण कैसे होगा। इसी की उसे चिंता है।
मानसिक रूप से बीमार है पत्नी
पाली के हिम्मत नगर और मूल रूप से गुड़ा श्यामा गांव के रहने वाले जगदीश की पत्नी मानसिक रूप से बीमार है। वह भोजन तक ढंग से नहीं बना पाती है। जगदीश के दो बच्चे है। एक पांच साल का और दूसरा 6 वर्ष का है। जगदीश बताता है कि अभी तो उसके परिवार की पड़ोसी और समाजबंधु मदद कर रहे हैं, लेकिन पैर कटने से अब वह काम करने योग्य नहीं रह गया है। दूसरा तीन बार पॉजिटिव आने और बीमारी के कारण लम्बे समय से कमाई का कोई साधन भी नहीं है।
हार्ट भी कार्य कर रहा कम
जगदीश मेवाड़ा के दोनों पैरों में कीड़े पड़ गए थे। इस पर पहले उसके एक पैरा का उपचार अहमदाबाद में और दूसरे का जोधपुर में उपचार कराया गया। इसमें विधायक ज्ञानचंद पारख ने काफी सहयोग किया। उसका हार्ट भी 25 प्रतिशत ही कार्य कर रहा है। –जयनारायण कड़ेचा, अध्यक्ष, मेवाड़ा समाज, पाली
कोरोना से था ग्रसित
जगदीश को पाली के अस्पताल में जाते समय वह कोरोना से ग्रसित था। उसका पैर नहीं काटने पर पूरे शरीर में जहर फैल सकता था। पाली में उसका उपचार करना मुश्किल था। इस पर जोधपुर के चिकित्सक से बात कर वहां भेजा और उपचार करवाया। अब वह ठीक है। –डॉ. अनिल विश्नोई, बांगड़ चिकित्सालय, पाली

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