विवाहोत्सवों आदि से जुड़े व्यवसायियों का कहना है कि देवशयनी एकादशी के बाद कार्यक्रम कम होने पर आठ माह तक कार्य करने वाले 80 प्रतिशत श्रमिक व कार्मिक गांवों में चले जाते है। वे इस काल में खेती करते है या भवन निर्माण के साथ फैक्ट्री आदि में कार्य करते हैं। जबकि 20 प्रतिशत को बचत से व्यवसायी तनख्वाह देते हैं।
बैण्ड व्यवसायी अजीज कोहीनूर के अनुसार देवशयनी एकादशी से देव उठनी एकादशी तक मांगलिक कार्यक्रम कम होते है। इस काल में भागवत कथा, चातुर्मास आदि के समय कुछ कार्यक्रम सम्बल देते हैं। बैण्ड वादन के लिए वैसे तो तीन-चार पार्टी होती है, लेकिन इस काल में केवल एक पार्टी रखते है। शेष लोग गांव चले जाते हैं।