संतों व साध्वियों के साथ 1100 किलोमीटर पदयात्रा की
निकिता ने साल 2018 में जैन संतों व साध्वियों के सानिध्य में 1100 किलोमीटर पदयात्रा की। साथ ही उपवास सहित विभिन्न साध्वी नियमों पालन किया। निकिता कहती हैं- 14 साल की उम्र से ही मुझमें वैराग्य की भावना जागृत हो गई थी। इस बीच मैं कई बार
जैन संतों के सानिध्य में रही। ईश्वर का ध्यान करने से मन को शांति और परम सुख की प्राप्ति होती है। इसलिए मैंने संयम के मार्ग को चुना। संयम के मार्ग पर चलने से आत्मा के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाएंगे। मैं आत्मा के कल्याण के लिए जप-तप और ध्यान करूंगा, जो सांसारिक जीवन जीते हुए संभव नहीं है।
पिता की बात नहीं मानी
निकिता के पिता अभय कटारिया व्यवसायी व मां गृहिणी हैं। दो बड़ी बहनें शादीशुदा हैं। निकिता ने पिता ने बताया कि हमने अपनी बेटी को समझाने के भरपूर प्रयास किया। उसे बताया कि वैराग्य का मार्ग इतना आसान नहीं है। वैराग्य जीवन में कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है, लेकिन वह नहीं मानी और हमें अपनी बेटी की खातिर हां कहना पड़ा। पिता ने बताया कि हमने बेटी की शादी के भी प्रयास किए। सगाई के कई प्रस्ताव भी आने आए लेकिन, उसने हर बार मना कर दी। जब वह काफी समय तक राजी नहीं हुई तो हमारे पास अपनी बेटी की खुशी के लिए कोई और विकल्प नहीं बचा।