मान्यता है कि मां के मंदिर मे सच्ची श्रद्धा के साथ पांच फेरी लगानी चाहिए। नवरात्र में यहां रोजाना हजारों की संख्या में माता के भक्त आते है। माघ सुदी पूनम को मेला भरता है। माता के दरबार में भजन संध्या का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि गोदावास बायोसा तनोट से यहा आकर विराजी है। माता तनोट से भादरियाजी, रामदेवरा नाडी होते हुए बायोसा का पारणा उठा और गोदवास आया। यहा वजाराम गोयल की पत्नी गंगाबाई को सपने में माता ने दर्शन दिए थे। लगभग 250 वर्ष पूर्व मंदिर का निर्माण हुआ। बायोसा माता के पास हिंगलाज मां एवं बाबा रामदेव का मंदिर स्थित है।
पांचवी पीढ़ी कर रही पूजा
इस मंदिर में सबसे पहले पूजा वजाराम गोयल ने प्रारम्भ की। इसके बाद उनके पुत्र हकमाराम गोयल, नेनाराम गोयल एवं हकाराम गोयल ने पूजा की। वर्तमान पांचवी पीढ़ी भोपाजी प्रतापराम गोयल मंदिर में माता की सेवा कर रहे है। चंद्रप्रकाश गोयल ने बताया कि उनके द्वारा मंदिर के बाहर एक पक्षीधाम बनाया गया है। जो आकर्षण का केन्द्र है। यहां पर कई प्रजाति के पक्षी आते है।