नवरात्रा के दिनों में यहां दूरदराज से प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। माता के दर्शन के लिए श्रद्धालु कतारों में खड़े नजर आते हैं। मंदिर की भव्य सजावट की जाती है।
मान्यता है कि गोदावास बायोसा तनोट से यहां आकर विराजी हैं। माता तनोट से भादरियाजी, रामदेवरा नाडी होते हुए बायोसा का पारणा उठा और गोदावास आया। यहां वजाराम गोयल की पत्नी गंगाबाई को सपने में माता ने दर्शन दिए। सैकड़ों वर्ष पूर्व मंदिर का निर्माण हुआ। मंदिर परिसर में बायोसा माताजी के पास हिंगलाज मां एवं बाबा रामदेव का मंदिर स्थित है।
इस मंदिर में सबसे पहले पूजा वजाराम गोयल ने प्रारंभ की। इसके बाद उनके पुत्र हकमाराम गोयल, नेनाराम गोयल एवं हकाराम गोयल ने पूजा की। वर्तमान में पांचवीं पीढ़ी भोपाजी प्रतापराम गोयल मंदिर में माताजी की सेवा कर रहे हैं।
चंद्रप्रकाश गोयल ने बताया कि उनके द्वारा मंदिर के बाहर एक पक्षीधाम तैयार किया गया है, जो काफी आकर्षक है। यहां पर विभिन्न प्रजातियों के हजारों पक्षी आते हैं, जो श्रद्धालुओं का मन मोह लेते हैं।