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हल्दीघाटी-जलियांवाला बाग जैसा राजस्थान के आऊवा गांव का है इतिहास, पहचान मिले तो बढे गौरव

Kushal Singh of Auwa: पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कार्यकाल में आऊवा में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का पैनोरमा बनवाया था। यहां पर खुशाल सिंह की प्रतिमा और उनकी आराध्य देवी सुगाली माता का मंदिर बनवाया गया।

पालीOct 25, 2024 / 10:55 am

Akshita Deora

राजेन्द्रसिंह देणोक

तत्कालीन मारवाड़ रियासत का छोटा-सा गांव आऊवा। मुठ्ठी भर सैनिक, लेकिन फौलादी साहस। अंग्रेजी हुकूमत की चुलें हिला दी थी। आऊवा पर आक्रमण करने आए अंग्रेज अफसर मोक मैंसन का सिर काट कर पोळ पर लटका दिया।
क्रांतिवीरों के साहस के सामने फिरंगियों की फौज भाग खड़ी हुई। 1857 में आजादी का बिगुल बजाने में अग्रणी आऊवा गांव का यह इतिहास हल्दीघाटी और जलियांवाला बाग से कतई कमतर नहीं है, लेकिन यहां के शूरवीरों की शौर्य गाथाएं संजोने की अब भी दरकार है। आऊवा का सुनहरा इतिहास हमारी नई पीढ़ी को साहस और संघर्ष की प्रेरणा दे सकता है। इसकी पहचान राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़े तो सैलानी भी खिंचे आएंगे।

पर्यटन स्थल बने आऊवा

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पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कार्यकाल में आऊवा में 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का पैनोरमा बनवाया था। यहां पर खुशाल सिंह की प्रतिमा और उनकी आराध्य देवी सुगाली माता का मंदिर बनवाया गया। लेकिन न तो पैनोरमा की देखभाल हो रही है और न ही प्रचार-प्रसार। यहां प्रतिदिन पांच-सात सैलानी आते हैं, वह भी स्थानीय। आऊवा गांव को पर्यटन और ऐतिहासिक स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। सांसद पीपी चौधरी ने पिछले कार्यकाल में गांव को गोद लिया था, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
auwa

अफसर का सिर काटकर किले पर लटकाया

1857 में आऊवा गांव क्रांतिकारियों का गढ़ बन गया। इससे अंग्रेज नाराज हो गए। अंग्रेज सेना ने 7 सितम्बर 1857 को आऊवा पर हमला कर दिया, लेकिन अंग्रेज परास्त हो गए। दूसरे दिन लेफ्टीनेंट हेचकेट ने 500 घुड़सवारों के साथ फिर आक्रमण किया। लेकिन क्रांतिकारियों के सामने अंग्रेज टिक नहीं पाए। बौखलाए फिरंगियों ने बड़ी सेना के साथ 18 सितम्बर को आऊवा घेर लिया। जोधपुर के पॉलिटिकल एजेंट मोक मेंसन भी सेना लेकर पहुंचा। चेलावास के निकट युद्ध हुआ। इसमें ठाकुर खुशालसिंह चांपावत ने मोक मेंसन का सिर काट दिया। यह सिर किले की पोळ पर लटकाया गया।

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