महज ढाई-तीन बीघा में कर पाते छिड़काव
पाली जिले में किसान तरल उर्वरक का छिड़काव करने के लिए अभी टंकी का उपयोग करते है। जो करीब 16 लीटर की आती है। उर्वरक भरने के बाद किसान टंकी को पीठ पर बांधते है। इसके बाद पाइप के माध्यम से छिड़काव करते है। इस तकनीक से पूरे दिन में किसान करीब ढाई-तीन बीघा में मुश्किल से छिड़काव कर पाते है, जबकि ड्रोन से यह कार्य मिनटों में किया जा सकता है।ये हैं लाभ
- * ड्रोन से बड़े क्षेत्रफल में कुछ ही मिनटों में उर्वरकों एवं कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है। इससे लागत में कमी आती है।
- * किसान हानिकारक रसायनों के सपर्क में नहीं आता है।
- * अधिक ऊंचाई वाली फसल पर भी आसानी से कीटनाशक व उर्वरक का उपयोग हो जाता है।
- * कीटनाशक व रसायन का अपव्यय कम होता है। इससे कम रसायन में अधिक क्षेत्रफल में छिड़काव होता है।
- * ड्रोन तेजी से फसल पर छिड़काव करता है, इससे समय की बचत होती है।
इनका कहना है
कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से अभी किसानों के खेतों में फ्री में ड्रोन उड़ाया जाएगा। किसान को केवल उर्वरक लाकर देना होगा। वैसे एक बार डेमो में केंद्र कुछ किसानों को उर्वरक भी उपलब्ध करवाएगा। ड्रोन से छिड़काव से किसानों को काफी लाभ होगा।डॉ. मनोज गुर्जर, प्रभारी, कृषि विज्ञान केन्द्र, पाली