-राजेन्द्रसिंह देणोक पाली। अकेला चना भले ही भाड़ नहीं फोड़ सकता हो, लेकिन एक अकेले किसान ने राजस्थान ने राज्यवृक्षखेजड़ी के न केवल पांच हजार पेड़ लगा दिए, बल्कि उन्हें पालपोसकरबड़ा भी कर दिया। सीमावर्ती जिलों में जैसे-जैसे सोलर प्लांटों की बाढ़ आ रही है, राजस्थान के राज्यवृक्षखेजड़ी के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। इसको लेकर पर्यावरणप्रेमी चिंतित है और लगातार विरोध भी कर रहे हैं। ऐसे में जालोर जिले के सायला उपखंड में अकेले किसान मुरारदान ने खेजड़ी को बचाने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने खुद के खेत में 5 हजार से ज्यादा खेजड़ी के वृक्ष लगा दिए। साथ ही क्षेत्र में खेजड़ी को संरक्षित करने के लिए भी जनजागरण अभियान चलाया।
मुरारदान ने कायम की मिसाल, खेत में लहलहा रहे हजारों वृक्ष
सायला तहसील के हरमू गांव निवासी मुरारदान बारहठ प्रकृति प्रेमी है। उन्होंने खेजड़ी को बचाने की मुहिम अपने ही खेत से शुरू की। करीब एक दशक में अब तक वे 5 हजार से ज्यादा खेजड़ी के पेड़ लगा चुके हैं। पुराने खेजड़ी के पेड़ों को भी सूखने से बचाया। शुष्क वन अनुसंधान केन्द्र जोधपुर से वैज्ञानिकों की टीम बुलाकर पुराने पेड़ों का उपचार कराया। अब सभी पेड़ स्वस्थ है। वे क्षेत्र में जैविक खेती को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण का अभियान चला रहे हैं। इसके लिए किसानों को जागरूक कर रहे हैं। मुरारदान कहते हैं, भगवान राम ने भी खेजड़ी यानी शमी की पूजा की थी। इसका न केवल धार्मिक अपितु पर्यावरणीय महत्व भी है। खेजड़ी के नीचे कई तरह की फसलें उगाते हैं, जिनका भरपूर उत्पादन होता है।
चढ़ रही बलि
जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर में सोलर प्लांट बहुतायत में लग रहे हैं। इससे हजारों बीघा जमीन पर उगे खेजड़ी के पेड़ गायब हो रहे हैं। कंपनियां इन पेड़ों की बलि ले रही है। सरकार ने इन्हें बचाने को लेकर कदम नहीं उठाया है।
चिपको आंदोलन: 300 साल पहले खेजड़ी को बचाने लिए 363 लोगों ने दी थी जान
खेजड़ी को बचाने के लिए अमृतादेवी विश्नोई की अगुवाई में जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव में वर्ष 1730 में 363 लोगों ने बलिदान दिया था। उनकी याद में जोधपुर जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर खेजड़ली गांव में 13 सितंबर को बलिदान दिवस मनाया जाता है।
इनका कहना है…
खेजड़ी को बचाने के लिए हर जिले में मुहिम चला रहे हैं। केंद्र व राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं। सोलर हब बनकर प्रदेश का विकास अवश्य हो, लेकिन खेजड़ी को बचाकर विकास किया जाए।
–शिवराज विश्नोई, राष्ट्रीय प्रवक्ता, अखिल भारतीय जीव रक्षा विश्नोई सभा