वित्तीय वर्ष 2016-17 में जिलों को महानरेगा के कामकाज के सुचारू संचालन के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग की ओर से आवंटित बजट में शेष रही राशि जयपुर मांग ली गई है। इस साल की सीए ऑडिट रिपोर्ट में प्रदेश के सभी 33 जिलों में आधिक्य रोकड़ शेष के रूप में 4138 लाख रुपए बताए गए हैं। अब विभाग के वित्तीय सलाहकार राधेश्याम मीणा ने सभी जिला कलक्टरों को पत्र लिखकर उनके जिले में इस योजना मद में आधिक्य रोकड़ शेष के रूप में रही राशि मुख्यालय को लौटाने के निर्देश दिए हैं। जिलों को यह भी ताकीद की गई है कि अन्य कार्यकारी एजेन्सियों तथा अधीनस्थ कार्यालयों से राशि जिला स्तर पर ही एकत्र की जाकर जिले के मार्फत ही मुख्यालय को भिजवाई जाएं। पंचायत समिति या ग्राम पंचायत के स्तर से किसी भी राशि का मुख्यालय को हस्तांतरण नहीं किया जाएगा।
यह बताया गया जिलों में रोकड़ शेष सीए ऑडिट के अनुसार अजमेर में 218.44, अलवर में 443.19, बांसवाड़ा में 58.16, बांरा में 45.13, बाड़मेर में 122.76, भरतपुर में 458.31, भीलवाड़ा में 181.53, बीकानेर में 55.40, बूंदी में 46.90, चित्तौडगढ़़ में 97.46, चूरू में 95.53, दौसा में 37.96, धौलपुर में 85.07, डूंगरपुर में 438.78 व हनुमानगढ़ में 27.46 लाख रुपए आधिक्य शेष बताया गया है। इसी तरह जयपुर में 113.17, जैसलमेर में 54.19, जालोर में 99.46, झालावाड़ में 84.32, झुंझुनूं में 67.05, जोधपुर में 102.96, करौली में 169.82, कोटा में 30.82, नागौर में 269.18 लाख रुपए अधिक बताए गए हैं। पाली में 164.94, प्रतापगढ़ में 67.74, राजसमंद में 3.86, सवाई माधोपुर में 72.44, सीकर में 61.33, सिरोही में 20.48, श्रीगंगानगर में 56.38, टौंक में 75.33 तथा उदयपुर में 212.71 लाख रुपए आधिक्य शेष बताया गया है।
क्या है नियम ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के नियमानुसार महानरेगा के तहत जिलों में जिला, ब्लॉक व ग्राम पंचायत स्तर पर क्रमश: 25 हजार, 10 हजार एवं एक हजार रुपए की राशि ही रखी जा सकती है। नए संशोधन के अनुसार विभाग ने जिला, ब्लॉक व ग्राम पंचायत स्तर पर नियमानुसार रखी जाने वाली राशि को छोड़कर शेष आधिक्य राशि मुख्यालय को लौटाने के निर्देश दिए हैं।