जापो वियोडो है थोड़ी मदद कर दो…
सिर्फ एक चद्दर के नीचे जीवन गुजारने वाले इन परिवारों में एक-दो महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है। वहां रहने वाला माधो वहां पहुंचने वाले लोगों से सिर्फ एक ही गुहार लगाता है ‘जापो वियोडो है थोड़ी मदद कर दो…, मोरा टाबर भूखा है साहब… कोई नी हुणे।
भूखे ही सो जाते हैंयहां रहने वाली आरती कहती है कि ढाई महीने से यहां रह रहे हैं। कमाने का कोई जरिया नहीं है। कालू कॉलोनी में मांगने जाते हैं। कोई देता है तो ठीक नहीं तो भूखे ही सो जाते हैं। खाने का सामान तो हमारे पास जितना था, वह खत्म हो गया है। अब तो देने वालों पर ही निर्भर हैं।
खाने को नहीं है साहब
यहां रहने वाली संगीता बोली करीब ढाई माह से यहां रह रहे हैं। पास की बस्ती में रोजाना मांगने जाते हैं। कुछ मिल जाता है तो खाते हैं। जो लोग मदद को आते हैं, वे दस-पन्द्रह दिन में एक बार ही आते हैं। उनकी सामग्री भी एक-दो दिन में खत्म हो जाती है। कई बार तो भूखे ही सोते हैं।
जवाली गांव के रहने वालेयहां रहने वाले सभी परिवार जवाली गांव के रहने वाले हैं। ये लोग मदारी जाति के हैं और गांवों व शहरों में तमाशा दिखाकर अपना व बच्चों का पेट पालते हैं। लॉकडाउन लगने पर ये सभी पाली में फंस गए और तब से टैगोर नगर अनुभव स्मारक संस्थान के पीछे डेरा डालकर बैठे हैं।