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अमरीका की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी 50 के भीतर एक्यूआई को संतोषजनक मानती है। लाहौर में 181 पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) रेटिंग दर्ज की गई है, जबकि कराची में यह 163 पर पहुंचने की खबर है। खाद्य और कृषि संगठन की पूर्व की रिपोर्ट और पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान में पराली जलाने, परिवहन और उद्योगों के कारण साल भर प्रदूषण होता है। कई ईंट भट्ठों का पुराने तरीके से संचालन हो रहा है। पिछले दिनों सरकार ने ऐसे ईंट भट्ठों को बंद करने का आदेश भी दिया लेकिन कुछ का संचालन अभी भी हो रहा है।
WHO के मुताबिक, दुनिया के हर 10 में से 9 लोग काफी प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। इसके मुताबिक, हर साल घर के बाहर और घरेलू वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में 70 लाख लोगों की मौत होती है। अकेले बाहरी प्रदूषण से 2016 में मरने वाले लोगों की संख्या 42 लाख के करीब थी, जबकि घरेलू वायु प्रदूषणों से होने वाली मौतों की संख्या 38 लाख है। वायु प्रदूषण के कारण हार्ट संबंधित बीमारी, सांस की बीमारी और अन्य बीमारियों से मौत होती है।
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वायु प्रदूषण मापने के आठ मानक (प्रदूषक तत्व पीएम 2.5, पीएम 10, कार्बन मोनोऑक्साइड, ओजोन, सल्फर डाईऑक्साइड, एल्युमिनियम व लेड) होते हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण पीएम 2.5 और पीएम 10 ही होते हैं। इन्हीं का आंकड़ा सर्वाधिक होता है।
एयर क्वॉलिटी इंडेक्स मापते समय पीएम 2.5, पीएम 10 और किसी एक अन्य मानक को शामिल किया जाता है। इसका केवल स्टैंडर्ड होता है, इसकी कोई मापक इकाई नहीं होती। वहीं पीएम 2.5 और पीएम 10 को माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में मापा जाता है। किसी भी चीज के जलने से जो प्रदूषण होता है, उसमें पीएम 2.5 और धूल कणों में पीएम-10 होता है।