27 वर्षीय शिवा ने लाइटवेट में दूसरा पदक पक्का किया है। इससे पहले 2019 में शिवा ने बैंकॉक में कांस्य पदक जीता था। शिवा ने 2015 में बैंकॉक में ही कांस्य पदक जीता था लेकिन वह पदक बैंटमवेट कटेगरी में आया था। इससे पहले, शिवा ने 2017 में बैंटमवेट में ही ताशकंद में रजत पदक जीता था। इसी वर्ग में शिवा 2013 में अम्मान में स्वर्ण भी जीत चुके हैं। शिवा के नाम 2015 विश्व चैम्पियनशिप का कांस्य पदक भी है। देखना दिलचस्प होगा कि शिवा लाइटवेट में अपने पदक का रंग बदल पाते हैं या नहीं। सेमीफाइनल में अगर वह जीत जाते हैं तो वह निश्चित तौर पर ऐसा करने में सफल होंगे लेकिन इसके लिए शिवा को टॉप सीड ताजिकिस्तान के बखोदुर उस्मानोव को हराना होगा।
आज पहले मुकाबले में भारत के मोहम्मद हुसामुद्दीन 56 किग्रा वर्ग के क्वार्टर फाइनल मैच में मौजूदा विश्व चैम्पियन उजबेकिस्तान के मिराजिजबेक मिजार्हालीलोव के हाथों हार गए पहले दौर में हुसामुद्दीन ने 56 किलो ग्राम भार वर्ग में कजाकिस्तान के मखमुद सेबिर्क को एकतरफा अंदाज में 5-0 से हराया था, लेकिन वह क्वार्टर फाइनल में टॉप सीड की चुनौती के आगे नहीं टिक सके और 1-4 के स्पिलिट निर्णय से मुकाबला गंवाकर टूर्नामेंट से बाहर हो गए।
हुसामुद्दीन और शिवा के अलावा चार अन्य भारतीय मुक्केबाज इस प्रतिष्ठित आयोजन के क्वार्टर फाइनल में भाग लेंगे। इनमें महिला मुक्केबाज सिमरनजीत कौर (60 किग्रा), साक्षी (54 किग्रा), जैस्मीन (57 किग्रा) और पुरुष मुक्केबाज संजीत (91 किग्रा) शामिल हैं। ये सभी अपने-अपने वर्ग में देश के लिए पदक पक्का करने की कोशिश करेंगे। शुरूआत में इस टूर्नामेंट में 27 से अधिक देशों की भागीदारी की उम्मीद थी, लेकिन हाल ही में लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों के कारण कुछ देश इसमें भाग नहीं ले सके। इस आयोजन में अब भारत, उज्बेकिस्तान, फिलीपींस और कजाकिस्तान जैसे मजबूत मुक्केबाजी देशों सहित 17 देशों के 150 मुक्केबाज अपनी श्रेष्ठता साबित करने का प्रयास करेंगे।