मणिपुर में सभी जातियों को मिलकर रहना चाहिए। एक दूसरे को समझना चाहिए। जातिगत भेदभाव नहीं करना चाहिए। जिन महिलाओं के साथ गलत हुआ है, उनको न्याय मिलना चाहिए। दोषियों का कड़ा दंड आवश्यक है।
-मुकेश सोनी, जयपुर
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सरकार पर अविश्वास
मणिपुर के माहौल को ठीक करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम कारगर नहीं लग रहे हैं। अब तो ऐसा लगने लगा है कि सरकार ने वहां के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। कुकी और मैतेई, दोनों समुदायों के लोगों को लगने लगा है कि उनकी भलाई के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है और अपनी सुरक्षा उन्हें स्वयं ही करनी होगी। इसी कारण राज्य मे हिंसा का जवाब हिंसा से दिया जा रहा है और मणिपुर अब भी अशांत बना हुआ है।
-नरेश कानूनगो, देवास, मप्र
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शांति के लिए मिलजुल कर प्रयास करें
मणिपुर में अब तक माहौल शांत न हो पाने के लिए कई कारण हैं। जैसे हिंसक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न होना, आरक्षण को लेकर दो समुदायों के बीच फैली नफरत की भावना, विपक्षी दलों के द्वारा सियासी लाभ के लिए गैर जरूरी बयानबाजी करना तथा राज्य की सीमा से सटे देशों से हिंसक तत्वों को हथियार मिलना। मणिपुर के अशांत माहौल को शांत करने के लिए सभी पक्षों को मिलजुल कर प्रयास करने चाहिए।
- वसंत बापट, भोपाल, मप्र
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मणिपुर से लगातार हिंसा की खबरें आ रही हैं और हालात बेकाबू हो चुके हैं। फिलहाल वहां शांति के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। वहां ऐसा कोई मजबूत नेतृत्व नहीं है, जो शांति कायम कर सके और हिंसा को जड़ मूल से समाप्त कर सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कोई ठोस कदम उठाने चाहिए।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
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बढ़ता गया अविश्वास
मणिपुर एक सीमांत छोटा राज्य है। यहां हिंसा होने पर केंद्र सरकार व राज्य के मुख्यमंत्री को अति संवेदनशील होना चाहिए था। शुरुआत में वहां खास ध्यान नहीं दिया गया। कुकी और मैतेई समुदायों के बीच अविश्वास बढ़ता गया।
-रघुवीर जैफ, जयपुर
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मणिपुर में अब तक भी शांति स्थापित नहीं हो पाई है। इसका प्रमुख कारण केन्द्र और राज्य सरकार के बीच आपसी सामंजस्य का अभाव है। राज्य में शांति कायम करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
-प्रकाश भगत, कुचामन सिटी, नागौर