अभिव्यक्ति की आजादी का यह मतलब नहीं है कि देश की अखंडता को तोडऩे वाले जहर बुझे बयान दिए जाएं। अपने राजनीतिक वजूद के लिए घृणा फैलाने वाले राजनेताओं के भाषणों को साक्ष्य के रूप में रखते हुए घृणित बयान देने वाले नेताओं पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाए। घृणा फैलाने वाले बयान देना देशद्रोह से कम नहीं है। ऐसे नेताओं को चिह्नित कर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
-रेखा उपाध्याय मनेंद्रगढ़, कोरिया छत्तीसगढ़
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वोट बैंक को नाराज न करने की मानसिकता के कारण सरकार भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती। लोकतंत्र का मजाक उड़ाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
-गोपेन्द्र मालवीय, इंदौर
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हमारे समाज में अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए नेता सांप्रदायिक व जातीय घृणा का माहौल पैदा करते हैं। इस तरह की समस्याओं के समाधान के लिए बच्चों के चरित्र निर्माण पर विशेष जोर दिया जाए। जनता की मूल समस्याओं का समाधान शीघ्र किया जाए, समाज में पनपने वाले असंतोष को समय रहते दूर किया जाए और समाज में साधनों की असमानता का अंतर निम्नतम करने के प्रयास हों। दोषियों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई भी जरूरी है।
-अजिता शर्मा, उदयपुर
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घृणा फैलाने वालों के पीछे एक राजनीतिक विचारधारा है, जो जाति और धर्म के आधार पर अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए लोगों को बांटना चाहती है। सोशल मीडिया अपने विचार व्यक्त करने और लोगों से जुड़ने का अच्छा माध्यम है। सोशल मीडिया के जरिए गलत जानकारी और नफरत फैलाने वाले मुद्दे भी फैलाए जा रहे हैं। दुनिया के कई हिस्सों में यह समस्या है। पाकिस्तान, इंडोनेशिया और मालदीव जैसे देशों में इस्लामी कट्टरपंथी, अमरीका और पश्चिमी यूरोप में ईसाई कट्टरपंथी, म्यांमार में बौद्ध कट्टरपंथी और भारत में हिंदू कट्टरपंथी लोगों को भड़का रहे हैं।
-इम्तियाज हुसैन, अलवर
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सोशल मीडिया व अन्य जगह पर घृणा फैलाने वालों के खिलाफ कठोर दंड का प्रावधान किया जाए, जिससे घृणा फैलाने वालों में डर पैदा हो। प्रशासन ऐसे मामलों में शीघ्रता से कार्रवाई करे।
-सी.आर. प्रजापति, हरढ़ाणी, जोधपुर
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किसी भी समाज में निरंतर विकास के लिए शांति और सुरक्षा का वातावरण बहुत ही जरूरी है। देश में धर्म पर आधारित राजनीति के कारण नफरत एवं घृणा का माहौल बनाया जा रहा है। भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में जब तक सभी राजनीतिक दलों के नेता इस तरह की राजनीति खत्म नहीं करते हैं, तब तक घृणा का यह जहर फैला रहेगा।
-नरेश कानूनगो, बैंगलूरु
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नेता अपनी पार्टी और स्वयं के स्वार्थ के लिए देश में घृणा फैला रहे हैं। यह वाकई चिंता की बात है। प्रभावशाली नेता जब खुद यह काम कर रहे हैं, तो अंकुश कैसे लगेगा?
-संजय खरे, भोपाल
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घृणा फैलाने वालों पर अंकुश इसलिए नहीं लगाया जा रहा है क्योंकि सरकार इन लोगों पर ध्यान नहीं दे पा रही है। इसी चीज का फायदा घृणा फैलाने वाले लोग उठा रहे हैं।
-नितिन लाला, कोटा
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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं हैं कि लोग मनमानी करने लग जाएं। मर्यादित भाषा में अपनी बात रखना प्रजातंत्र की खुशबू है, किन्तु धर्म और जाति के आधार पर घृणा फैलाना अनुचित है। सरकार को ऐसे मामले में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
-मुकेश भटनागर, भिलाई