युवा कौशल है विश्व शांति का रास्ता
दुनिया भर में मानवता का भविष्य युवाओं के हाथ में है। यह इस बात पर ज्यादा निर्भर है कि वे अपने अर्जित कौशल और हुनर का इस्तेमाल आज की चुनौतियों से जूझने में कैसे करते हैं और एक शांतिपूर्ण कल कैसे गढ़ते हैं। डिजिटल क्रांति के इस दौर में वे सूचना के स्तर पर बहुत जल्दी सारी दुनिया से जुड़ सकते हैं।
सुशील कुमार
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी और बिहार पुलिस अकादमी में सहायक निदेशक के तौर पर कार्यरत
मानव सभ्यता के विकास में कौशल और श्रम का महत्त्वपूर्ण योगदान है। पहली बार आग के आविष्कार से लेकर आज कृत्रिम बु़िद्ध (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के इस्तेमाल तक की यात्रा हमारे कौशल और श्रम का प्रतिफल ही तो है। इसमें सबसे उत्पादक वर्ग समूह युवाओं का ही है। उनके कौशल और श्रम की बदौलत ही देश विकास के नए कीर्तिमान स्थापित कर पाते हैं। आज विश्व युवा कौशल दिवस है और संयुक्त राष्ट्र ने 2024 को शांति और विकास के लिए युवा कौशल के तौर पर मनाने का निर्णय किया है।
मुश्किल यह है कि दुनिया भर में नई तकनीकों के इस्तेमाल से मानव जीवन को ज्यादा सुगम और सुविधाजनक बनाने की होड़ मची है, लेकिन यह प्रतिस्पर्धा हमारे जीवन और समाज में कटुता, वैमनस्यता और एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए किए जा रहे नकारात्मक आविष्कारों और प्रवृत्तियों की ओर खींच रही है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किए गए इस दिवस का उद्देश्य विश्व स्तर पर युवाओं को रोजगार, काम और उद्यमिता के लिए महत्त्वपूर्ण कौशलों से लैस करना है। आज विश्व के कई देश युद्ध में फंसे हैं। रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध तो चल ही रहा है, इजरायल पर हमास के हमले के बाद फिलिस्तीनी इलाके भी इजरायली हमले झेल रहे हैं। मध्यपूर्व में फारस की खाड़ी के कई देशों में युद्ध जैसे हालात हैं, वहां महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की जिंदगी खतरे में हैं। ऐसे में आवश्यक है कि शांति निर्माण और संघर्ष सुलझाने में युवाओं और उनके कौशल की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो। संयुक्त राष्ट्र ने इन्हीं परिस्थितियों के मद्देनजर 2024 को शांति और विकास के लिए युवा कौशल के वर्ष के तौर पर मनाने का आह्वान किया है।
दुनिया भर में मानवता का भविष्य युवाओं के हाथ में है। यह इस बात पर ज्यादा निर्भर है कि वे अपने अर्जित कौशल और हुनर का इस्तेमाल आज की चुनौतियों से जूझने में कैसे करते हैं और एक शांतिपूर्ण कल कैसे गढ़ते हैं। डिजिटल क्रांति के इस दौर में वे सूचना के स्तर पर बहुत जल्दी सारी दुनिया से जुड़ सकते हैं। ऐसे में बजाय इसके लिए किसी की व्यक्तिगत या संस्थागत मानहानि, देशों के सामरिक नुकसान और शांति प्रक्रियाओं को तोडऩे और झकझोरने वाले कदम उठाने के, वे अपने कौशल और क्षमताओं का उपयोग भविष्य के लिए शांति और सद्भावनापूर्ण दुनिया के निर्माण में करें। कोविड के बाद दुनिया में डिजिटल संसाधनों के उपयोग के कई नए और अनदेखे स्वरूप सामने आए। इसका योगदान सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हैं। इससे दुनिया भर की तकनीकें तुरंत एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुंचाई जा सकती हैं। कोविड के समय दुनिया भर में उससे निपटने के तरीके, अर्थव्यवस्था के जीर्णोद्धार के लिए तकनीकें सीखने और उनके इस्तेमाल में डिजिटल माध्यम ने बड़ा योगदान किया है। इसके साथ ही कुछ नकारात्मक परिवर्तन भी हुए। सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर दूसरे धर्मावलम्बियों को टारगेट करने, फर्जी खबरें और सामग्रियां प्रकाशित और पोस्ट करने से नफरत, आपसी भेदभाव और गैर बराबरी को बढ़ावा ही मिला है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार हमारे देश में अनुमानत: 27.2 प्रतिशत जनसंख्या 15-29 आयु वर्ग के युवाओं की है जो करीब 38 करोड़ होती है। इन युवाओं में तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं का एक बड़ा वर्ग है। भारत सरकार ने नवम्बर 2014 में कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय की स्थापना की जिसका उद्देश्य कौशल विकास के सभी प्रयत्नों का समावेशन और समन्वय के साथ ही कौशल विकास के नए आयामों की स्थापना और उनका उन्नयन है। देश में इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों के अलावा 1950 से ही इन्डस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट( आइटीआइ) भी बड़ी संख्या में स्थापित किए गए। इसके अलावा कौशल विकास केन्द्रों से प्रशिक्षित करोड़ों युवा हमारे देश के विकास को गति दे सकते हैं और हमारे शांतिपूर्ण, मानवीय और सद्भावपूर्ण विकास के एजेंडे को सामने रखकर दुनिया में अपनी पताका फहरा सकते हैं। विकास और तकनीक के नकारात्मक इस्तेमाल पर नियंत्रण करके ही अपने कौशल का सुपरिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
आज देश में प्रतिवर्ष लगभग 15 लाख इंजीनियरिंग ग्रेजुएट बनते हैं लेकिन उनमें से सिर्फ ढाई लाख ही कोर तकनीकी कार्यों में नौकरी पाते हैं, आखिर बाकी के साढ़े बारह लाख लोग हर साल क्या करने लग जाते हैं? हमारे पास इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा मौजूद नहीं है, लेकिन हम इस कौशल का इस्तेमाल बेहतर स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और सबके लिए शांति और समृद्ध जीवन सुनिश्चित करने के लिए सतत विकास का लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं। दुनिया आज कई चुनौतियों का सामना कर रही है। हिंसक संघर्ष, नकारात्मता को बढ़ावा देने वाला ऑनलाइन वातावरण और लगातार बढ़ती आर्थिक असमानता, अवसरों को सीमित करती हैं। ये न सिर्फ व्यक्ति के भविष्य का रास्ता रोकती हैं, बल्कि सामाजिक तानेबाने की स्थिरता को भी प्रभावित करती हैं। शांति की संस्कृति को बढ़ावा देने, जिम्मेदार वैश्विक नागरिक बनाने और स्थायी और सतत विकास के लिए युवाओं को आवश्यक कौशल से लैस करने और उस कौशल के इस्तेमाल से एक शांतिपूर्ण, समावेशी, मानवीय और विकासशील दुनिया का निर्माण हमारी प्राथमिकता होना चाहिए।
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