ट्रंप-2 : अवैध प्रवासियों और भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा असर
राजेंद्र राठौड़, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, राजस्थान विधानसभाजनवरी 2025 में डॉनल्ड ट्रंप अमरीका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद से ट्रंप ने माइग्रेशन, अर्थव्यवस्था से लेकर मिडिल ईस्ट और रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपने बयानों से दुनिया के कई देशों को चिंता में डाल दिया है। विशेषकर अवैध प्रवासियों […]
राजेंद्र राठौड़, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, राजस्थान विधानसभा
जनवरी 2025 में डॉनल्ड ट्रंप अमरीका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद से ट्रंप ने माइग्रेशन, अर्थव्यवस्था से लेकर मिडिल ईस्ट और रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपने बयानों से दुनिया के कई देशों को चिंता में डाल दिया है। विशेषकर अवैध प्रवासियों को लेकर ट्रंप के सख्त रवैये से अमरीका में रहने वाले करीब 2 करोड़ 10 लाख अवैध प्रवासियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ट्रंप प्रशासन द्वारा जल्द ही नेशनल इमरजेंसी घोषित करने की सार्वजनिक घोषणा तथा अमरीका में रहने वाले अवैध प्रवासियों के खिलाफ सैन्य बलों का इस्तेमाल कर वहां से बेदखल किए जाने की संभावना को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में नकारा नहीं जा सकता। चुनावी रैलियों के दौरान भी ट्रंप की प्रमुख प्राथमिकताओं में अवैध प्रवासियों का मुद्दा अहम रहा है क्योंकि ट्रंप अमरीका में बढ़ते अपराध का मुख्य कारण अवैध प्रवासियों को मानते हैं। वह इसे सार्वजनिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मानते हैं।
इन संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के तुरंत बाद ट्रंप अपनी आव्रजन नीतियों के साथ ही एच-1बी वीजा और ग्रीन कार्ड को लेकर सख्त कदम उठा लें। ट्रंप की इन घोषणाओं से अमरीका में अवैध प्रवासियों के साथ ही वैध रूप से रहने वाले और काम करने वाले प्रवासियों को अपने भविष्य को लेकर चिंता हो रही है। डॉनल्ड ट्रंप अवैध प्रवासियों के बहाने विदेशी श्रमिकों के उपयोग को सीमित करना चाहते हैं। 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद भारत, अमरीका को प्रमुख श्रम आपूर्ति करने वाला देश रहा है। आउटसोर्सिंग ने भारत और अमरीका दोनों को लाभ पहुंचाया है जिसमें एक ओर भारतीयों को रोजगार मिला है, वहीं दूसरी ओर अमरीका को कम लागत में उत्पादन का फायदा। अब इसे रोकने से दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है।
ट्रंप ने चुनाव जीतने के बाद अपने पहले भाषण में ‘मेक अमरीका, ग्रेट अमरीका’ का नारा भी दिया था। ट्रंप की यह नीति प्रवासी समुदायों पर, विशेष रूप से भारतीयों पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। अमरीकी अर्थव्यवस्था में भारतीय प्रवासियों का महत्त्वपूर्ण योगदान किसी से छिपा नहीं है। भारतीय प्रवासी समुदाय ने अमरीकी आईटी, चिकित्सा, इंजीनियरिंग और शोध जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। सिलिकॉन वैली जैसे क्षेत्रों में तो भारतीयों की उपस्थिति ने अमरीका की तकनीकी प्रगति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद अमरीकी आव्रजन नीति (यूएस इमिग्रेशन पॉलिसी), एच-1बी वीजा कार्यक्रम को लेकर भी काफी चर्चा है। एच-1बी वीजा भारतीय पेशेवरों के लिए अमरीका में काम करने का प्रमुख मार्ग है। अमरीकी सरकार प्रत्येक वित्त वर्ष में नए एच-1बी वीजा की सीमा 65,000 तय करती है। ट्रंप प्रशासन के दौरान इन वीजा नियमों को और सख्त किए जाने की संभावना है, जिससे भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए अमरीका में काम करना और स्थायी रूप से रहना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
अमरीका के श्रम बल में प्रवासियों की हिस्सेदारी की दर काफी अधिक है। यहां अन्य देशों से आने वाले प्रवासी लोग स्थानीय लोगों की तुलना में कम पैसों में काम करने को राजी हो जाते हैं। ऐसे में अमरीकी कारोबारियों के लिए ये सस्ते में उपलब्ध श्रमिक होते हैं। यह सही है कि इनमें से ज्यादातर अवैध रूप से मैक्सिको के रास्ते से आते हैं। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 के बाद से अवैध प्रवासियों की संख्या में वृद्धि हुई है। अमरीका में हर चौथा प्रवासी अवैध है। अमरीका में भारतीय प्रवासियों की संख्या 50 लाख से अधिक है, इनमें से एक बड़ा हिस्सा ग्रीन कार्ड धारकों और नागरिकों का है। वहीं अमरीका में एच-1बी वीजा पर काम करने वाले पेशेवर और स्टूडेंट वीजा पर पढ़ाई करने वाले छात्र भी हैं। एक आंकड़े के मुताबिक पिछले 11 वर्षों में अमरीका जाने वाले भारतीयों की संख्या में 1.5 गुना की वृद्धि हुई है क्योंकि अमरीका में हायर एजुकेशन प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में भारत के छात्र जाते हैं।
इसके अलावा भारतीय पेशेवर व अन्य लोग भी नौकरी करने अमरीका जाते हैं। यह सही है कि अवैध प्रवासियों का सामूहिक निर्वासन अमरीका व भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। आज अमरीका व भारत के बीच द्विपक्षीय संबंध काफी सुदृढ़ हैं तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डॉनल्ड ट्रंप के साथ भी बेहतर तालमेल है इसलिए अमरीका में रहने वाले प्रवासी भारतीय समुदाय के हितों को प्राथमिकता देना ट्रंप प्रशासन के लिए जरूरी होगा। दोनों देशों के बीच के मधुर संबंधों से भविष्य में प्रवासियों के लिए एक सकारात्मक वातावरण बनेगा, जिससे भारतीय प्रवासी समुदाय और अमरीकी समाज दोनों को लाभ होगा।
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