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Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: सद् कर्म ही कर्म है। निरर्थक कर्म अकर्म या मन्द कर्म है। सद् कर्म ही कर्म है।निरर्थक कर्म अकर्म या मन्द कर्म है। शास्त्र विरुद्ध-विकर्म दुष्कर्म कहलाते हैं। तीनों ही कर्म विवर्त बल तत्त्व के विस्तार से अनेक रूप धारण कर लेते हैं।ये कर्म विद्या और अविद्या भाव से युक्त होने से भिन्न-भिन्न फल प्रदान करते हैं।… ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- कर्म के विवर्त
जयपुर•Jun 07, 2024 / 09:01 pm•
Gyan Chand Patni
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