कोरोना की दूसरी लहर के कहर ने सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन, दवाओं और कोरोना के इलाज से जुड़े मेडिकल उपकरणों की कमी पैदा कर दी है। भारत में कोरोना की जो स्थिति है, उसे देखते हुए अन्य देशों की ओर से दी गई मदद को स्वीकार करने के अलावा हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। हमें इस समय सबकी मदद की जरूरत है। ऐसे में चीन से खरीदे जाने वाले उपकरण भी खासे मायने रखते हैं। अभी लोग मर रहे हैं और ये हमारे लिए बड़ा संकट है। ऐसे में चीन, पाकिस्तान या जिस भी देश से मदद की पेशकश आ रही है, उसे स्वीकार करने के अलावा सरकार के पास कोई और विकल्प होना भी नहीं चाहिए।
-डॉ. अजिता शर्मा, उदयपुर
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हम तो आत्मनिर्भर बनने चले थे। मांगने वाले भिखारी बन बैठे। अच्छे दिन लाने वाले थे। लोग कह रहे हैं, हमारे पुराने बुरे दिन ही लौट दो। 16 साल पुरानी किसी विदेशी सहायता को नकारने वाले भारत को अब अपनी नीति में बदलाव कर भूटान जैसे छोटे से देश से भी सहायता से गुरेज नहीं रहा, तो चीन एवं पाकिस्तान से मदद में क्यों परहेज करे? यूं भी चीन ने तो हमारे आधे मार्केट पर कब्जा कर रखा है और पाकिस्तान तो हमारा अपना ही अंग रहा है।
-कन्हैयालाल कुंभकार, जीरापुर, राजगढ़, मप्र
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भारत को मदद देने के लिए कई देश स्वेच्छा से आगे आए हैं। ऐसी स्थिति में भारत यदि दुश्मन देश पाकिस्तान और चीन से मदद स्वीकार न करे तो अच्छा। पाकिस्तान का दोगलापन जग जाहिर है। चीन की कुटिलता उजागर हो चुकी है। इन दोनों देशों से सावधान रहने की आवश्यकता है। पाकिस्तान का विश्वास नहीं। थोड़ा सा सहयोग करके वह भारत को भिखारी देश कह सकता है। जो देश भारत के विकास से ईर्ष्या रखते हों, उनसे मदद न लेना ही अच्छा है
-सतीश उपाध्याय मनेंद्रगढ़ कोरिया छत्तीसगढ़
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भारत को किसी भी परिस्थिति में चीन और पाकिस्तान से मदद स्वीकार नहीं करनी चाहिए। दोनों की नीयत और नजर ठीक नहीं है। भारत एक स्वाभिमानी राष्ट्र है। माना कि वर्तमान समय में परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं। राष्ट्रीय विपदा है, लेकिन भारत अपनी सुरक्षा स्वयं करने में सक्षम है। अपनी कूटनीतिक कटिबद्धता का परिचय देते हुए निर्णय लेना चाहिए, ताकि भविष्य में अपने निर्णय पर अपराध बोध ना हो।
-उमाकांत शर्मा, डग, झालावाड़
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अभी हम अपने स्वाभिमान का हवाला देकर मदद को स्वीकार न करें, तो यह हमारा अहंकार होगा, क्योंकि लोगों की जान बचाना जरूरी है। इसलिए अपनी शत्रुता को किनारे कर मदद को स्वीकार किया जाना चाहिए। यह बात भी ध्यान रखनी होगी कि हमने भी विपत्ति में दूसरे देशों का साथ दिया है। इसलिए लोगों की जान बचाने के लिए जो भी मदद मिल रही हो, उसे स्वीकार कर लेना चाहिए।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
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चीन और पाकिस्तान से मदद लेने से पहले हमें इतिहास के साथ उनके इरादों पर भी नजर डाल लेनी चाहिए। हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा देने वाले चीन ने हमें हर मोर्चे पर धोखा दिया है। हमें विकल्पों की तलाश करते हुए अन्य देशों की मदद लेनी चाहिए और देशवासियों को भी अब एकजुट हो जाना चाहिए।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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कोविड माहमारी के भयंकर दौर में भारत की स्वास्थ्य सेवाएं पस्त हो चुकी हंै। विश्व के सभी देश भारत की मदद कर रहे हैं। ऐसे में चीन और पाकिस्तान ऑक्सीजन या अन्य चिकित्सा संबंधी सहायता देते हैं, तो केंद्र सरकार को निसंकोच स्वीकार करके मानव जीवन की रक्षा करनी चाहिए। पाकिस्तान और चीन भारत के पड़ोसी हैं। मुसीबत के समय मदद की पेशपश करके वे हमारी वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को ही मजबूत कर रहे हैं।
-मदनलाल लम्बोरिया, भिरानी, राजस्थान
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अभी धैर्य की जरूरत है। भारत की मदद करने को कई देश आगे आ रहे हैं। ऐसे में अगर परिस्थिति संभल गई तो ठीक है। वरना अगर परेशानी बढ़ी तो फिर मदद लेना गलत नही होगा, क्योंकि जान है तो जहान है। पाकिस्तान तथा चीन ने भारत को बहुत सताया है। नीति यही कहती है कि जब तक असमर्थता की हद न पार कर जाए, तब तक अपने अहित चाहने वालों के सामने हाथ नहीं फैलाना चाहिए।
– सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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चीन जैसे देश से मदद लेने का मतलब अपने लिए मुश्किल बढ़ाना है। पाकिस्तान आतंकवादियों का मददगार है। यदि उसकी मदद ली तो भारत में आतंकियों की जड़ें मजबूत हो जाएंगी। इसलिए भारत को पाकिस्तान और चीन की मदद स्वीकार नहीं करनी चाहिए।
-सुरेंद्र बिंदल, जयपुर
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कोरोना वैश्विक महामारी है। इससे बचने के लिए सभी देशों को वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। इंसान और इंसानियत प्रथम है। अत: भारत को पाकिस्तान और चीन से मदद स्वीकार कर लेनी चाहिए।
-आजाद कृष्णा राजावत, निहालपुरा
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क्या भारत को पाकिस्तान और चीन से मदद स्वीकार कर लेनी चाहिए ? यह एक यक्ष प्रश्न है। इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। दोनों देशों से हमारे ताल्लुकात ठीक नहीं हैं। धोखा और पीठ पीछे वार करने की उनकी पुरानी परंपरा रही है। इन शत्रु देशों से मदद लेने का कोई औचित्य नहीं है।
-डॉ.अशोक, पटना, बिहार
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यह लड़ाई कोरोना जैसी महामारी से है। देश के हित को ध्यान में रखकर मदद स्वीकार करनी चाहिए। हमें पुरानी रंजिश को भूलकर लोगों की जान बचाने के प्रयास करने चाहिए।
अनीता त्रिवेदी, सूरत
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चीन और पाकिस्तान भारत के दुश्मन देश हैं। मदद हमेशा मित्र से लेनी चाहिए । दुश्मन से मदद नहीं लेनी चाहिए। अत: भारत को चीन और पाकिस्तान से मदद नहीं लेनी चाहिए।
-योगेन्द्र चाहड़देव जोधपुर
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भारत में कोरोना की जो स्थिति है, उसे देखते हुए अन्य देशों की ओर से दी गई मदद को स्वीकार करने के अलावा हमारे पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है। ऐसे में हम यदि चीन व पाकिस्तान की मदद स्वीकार कर लें, तो कोई बुराई नहीं है।
-कमलेश कुमार कुमावत, चौमूं, जयपुर
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इस समय भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इससे स्पष्ट है कि भारत कोरोना के फैलते संक्रमण पर काबू पाने में नाकाम हो रहा है। ऐसे हालात में यदि पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन मदद के लिए हाथ बढ़ाते हैं, तो भारत को पुरानी बातों को भूलते हुए उनकी मदद स्वीकार कर लेनी चाहिए। महामारी के इस कठिन समय में दुश्मनी भुलाकर एकजुट होने में ही समझदारी है।
-विभा गुप्ता, बैंगलूरु
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हम मदद लेने में विश्वास नहीं करते हैं। अगर देश हित मे मदद लेना अति आवश्यक हो तब भी चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से तो किसी प्रकार की मदद नहीं लेनी चाहिए। इन देशों की इतनी औकात नहीं है कि वे भारत जैसे महान देश की मदद कर सकें। ये झूठी पेशकश कर वाहवाही लूटना चाहते हैं।
-रघुवीर कपूर, कोटा