scriptशरीर ही ब्रह्माण्ड Podcast: यात्रा लौटकर ही पूर्ण होती है | Sharir Hi Brahmand Podcast 02 mach 2022 Gulab Kothari Article | Patrika News
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शरीर ही ब्रह्माण्ड Podcast: यात्रा लौटकर ही पूर्ण होती है

Gulab Kothari Article Sharir Hi Brahmand: अग्नि और सोम को ही ब्रह्म और माया कहते हैं। अग्नि प्रकाशधर्मा है और कहीं तापधर्मा है। अनुभूति में आ जाता है। गतिशील भी है, अत: क्रियारूप- प्राण युक्त होकर स्पष्ट भी हो सकता है। सोम की आहुति के बाद शेष भी अग्नि ही रहता है। सारा विश्व अग्निधर्मा है। ये … ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में सुनें पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का यह विशेष लेख- यात्रा लौटकर ही पूर्ण होती है

Mar 01, 2024 / 09:09 pm

Gyan Chand Patni

शरीर ही ब्रह्माण्ड Podcast: यात्रा लौटकर ही पूर्ण होती है

शरीर ही ब्रह्माण्ड Podcast: यात्रा लौटकर ही पूर्ण होती है

Gulab Kothari Article शरीर ही ब्रह्माण्ड: “शरीर स्वयं में ब्रह्माण्ड है। वही ढांचा, वही सब नियम कायदे। जिस प्रकार पंच महाभूतों से, अधिदैव और अध्यात्म से ब्रह्माण्ड बनता है, वही स्वरूप हमारे शरीर का है। भीतर के बड़े आकाश में भिन्न-भिन्न पिण्ड तो हैं ही, अनन्तानन्त कोशिकाएं भी हैं। इन्हीं सूक्ष्म आत्माओं से निर्मित हमारा शरीर है जो बाहर से ठोस दिखाई पड़ता है। भीतर कोशिकाओं का मधुमक्खियों के छत्ते की तरह निर्मित संघटक स्वरूप है। ये कोशिकाएं स्वतंत्र आत्माएं होती हैं।”
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की बहुचर्चित आलेखमाला है – शरीर ही ब्रह्माण्ड। इसमें विभिन्न बिंदुओं/विषयों की आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्याख्या प्रस्तुत की जाती है। गुलाब कोठारी को वैदिक अध्ययन में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें 2002 में नीदरलैन्ड के इन्टर्कल्चर विश्वविद्यालय ने फिलोसोफी में डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया था। उन्हें 2011 में उनकी पुस्तक मैं ही राधा, मैं ही कृष्ण के लिए मूर्ति देवी पुरस्कार और वर्ष 2009 में राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान से सम्मानित किया गया था। ‘शरीर ही ब्रह्माण्ड’ शृंखला में प्रकाशित विशेष लेख पढ़ने के लिए क्लिक करें नीचे दिए लिंक्स पर

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