किंवदंती है कि मां काली इनसे मिलने आती थीं, मां को भोजन कराते हैं, मां के पास न होने पर तड़पने लगते और बच्चे की तरह रोते। संत तोताराम ने रामकृष्ण को इंद्रियों पर नियंत्रण करना सिखाया और उनके गुरु बने। इससे लोग उनके दर्शन के लिए आने लगे, बाद में उन्हें परमहंस (जिसके पास असीम ज्ञान हो और जिसकी इंद्रियां उसके वश में हो) की उपाधि मिली। इसके बाद वे रामकृष्ण परमहंस कहलाया जाने लगे। उन्होंने विचारक और उपदेशक के रूप में कई लोगों को प्रेरित किया। उन्हें में से एक नरेंद्र भी थे, जो बाद में उनके शिष्य बने और स्वामी विवेकानंद कहलाए।
बाद में ईश्वर चंद्र विद्यासागर, केशव चंद्र सेन, बंकिम चंद्र चटर्जी, अश्विनी कुमार दत्त, विजय कृष्ण गोस्वामी जैसे इनके अनुयायियों ने भारत को खूबसूरत बनाने में अपनी भूमिका निभाई। रामकृष्ण परमहंस ने 15 अगस्त 1886 को गले के रोग के कारण उन्होंने शरीर छोड़ दिया।
Ramkrishna paramhans quotes(रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख विचार): फाल्गुन शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि की शुरुआत 21 फरवरी मंगलवार सुबह 9.05 बजे हो रही है, जबकि यह तिथि 22 फरवरी बुधवार सुबह 5.28 बजे संपन्न हो रही है। इसी दिन रामकृष्ण परमहंस जयंती मनाई जाएगी, रामकृष्ण परमहंस जयंती पर पढ़िए उनके अनमोल विचार।
1. संत रामकृष्ण का कहना था कि जैसे खराब आईने में सूर्य की छवि नहीं दिखाई देती, वैसे ही खराब मन में भगवान की मूरत नहीं बनती।
2. सभी धर्म समान है, और सिर्फ ईश्वर की प्राप्ति का रास्ता दिखाते हैं।
3. संत रामकृष्ण ने समझाया कि कोई दुविधा न आए तो समझना राह ही गलत है, यानी सही रास्ते पर चलते वक्त दुविधा तो आएगी ही।
4. विषयक ज्ञान मनुष्य की बुद्धि को सीमा में बांध देता है और अभिमानी बनाता है।
5. रामकृष्णजी महिलाओं को शक्ति की प्रामाणिक मूर्ति मानते थे।
6. रामकृष्ण परमहंसजी कहा करते थे कि निराकार ईश्वर ही वास्तविक है, जो तुम्हारे लिए विश्वास प्रकट करता है, उसके प्रति विश्वास रखो।
7. भगवान किसी जाति धर्म में विश्वास नहीं रखते, भगवान को सच्चे मन से ही याद करना चाहिए।
8. भगवान के कई रूप होते हैं, जो अलग-अलग रूपों में आकर भक्त को प्रेरित करते हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप उसे किस रूप में देख रहे हैं। भगवान आपको उसी रूप में दिखाई देगा, जिस रूप में आपने उसे याद किया है।
9. धर्म की बातें करना आसान है, उसका अभ्यास करना मुश्किल।
10. ईश्वर दुनिया के हर कण में विद्यमान है, ईश्वर के रूप को इंसानों में देखा जा सकता है। हालांकि सभी इंसानों में ईश्वर का भाव हो यह जरूरी नहीं है। इसलिए इंसान की सेवा ईश्वर की ही सेवा है।
11. जब तक हमारे मन में किसी चीज की इच्छा है, हम ईश्वर को नहीं प्राप्त कर सकते।