जवाबदारी कानून, जिसका प्रशासनिक नाम ‘ गारंटीड डिलेवरी ऑफ पब्लिक सर्विसेज एंड अकाउंटेबिलिटी एक्ट’ है। पिछले काफी समय से अफसरों की टेबल पर रद्दी कागज की तरह धूल खा रहा है। राजस्थान ने सूचना का अधिकार लागू करके देशभर में झंडा गाड़ दिया था।
मुख्यमंत्री गहलोत का सपना था कि इसी तरह जवाबदारी कानून लागू करने में भी राजस्थान अग्रणी बने। यही सोच कर उन्होंने पार्टी के 2018 के घोषणा-पत्र में इसे डलवाया। फिर 2019 के बजट में घोषणा की कि सरकार यह कानून लाएगी। फिर रामलुभाया कमेटी बनी। उसको भी हरी झंडी मिल गई। मुख्यमंत्री ने 2022 के बजट में फिर घोषणा कर दी।
मुख्यमंत्री घोषणा पर घोषणा करते गए और अफसर पलीते पर पलीते लगाते गए। लग तो यह रहा है कि विधानसभा का यह सत्र भी निकल जाएगा। मुख्यमंत्री हाथ मलते रह जाएंगे और अफसर अपनी होशियारी पर अट्टहास करते रहेंगे। यह सत्र निकला तो शायद फिर मुख्यमंत्री का सपना कभी पूरा नहीं हो पाएगा।
यह तो ‘अनीति’ है
आखिर क्या है इस अधिनियम में कि अफसरशाही ने इसे गर्त में ले जाने पर पूरा जोर लगा दिया है और अपने मुख्यमंत्री की घोषणाओं और उनकी छवि तक को दांव पर लगा दिया? इस अधिनियम का सबसे मुख्य प्रावधान है ‘अकाउंटेबिलिटी ‘ यानी जवाबदेही।
वे नहीं चाहते कि पिद्दी सी जनता उनसे सवाल पूछने की हिमाकत कर सके। काम न होने पर पेनल्टी लगे। आखिर वे अफसर हैं। काहे की जवाबदारी! पूरे राज्य का जितना बजट साल का होता है वह लगभग पूरा का पूरा अफसरों-कर्मचारियों के वेतन में चला जाता है। जनता के काम के लिए सरकार को उधार लेना पड़ता है। फिर भी एक भी पैसे की जवाबदारी नहीं।
प्रवाह : आइने का सच
लगभग 100 जनसंगठन इस कानून को लेकर वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। केन्द्र सरकार के स्तर पर भी कोशिश हो चुकी। सभी दलों की सहमति होने और लोकसभा में पेश होने के बावजूद जवाबदारी कानून ‘ लैप्स ‘ हो गया। वहां भी तो इनके बड़े भाई बैठे हैं।
अंग्रेजों के पदचिह्नों पर चलते हुए स्वयं को जनता का मालिक मानने की मानसिकता इन पर हावी है। राजस्थान में सम्पर्क पोर्टल बनाया गया। उस पर एक करोड़ से ज्यादा शिकायतें दर्ज हुईं। ज्यादातर को गोलमाल जवाब देकर निपटा दिया गया। अब इस गोलमाल पर अंगुली कौन उठाए। यह कानून बने तो ऐसा संभव हो।
सरकार ने चिरंजीवी योजना, शहरी रोजगार योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं लागू कर रखी हैं। पर जनता से पूछो- उनका हश्र क्या हो रहा है। सवाल कौन पूछे। जनता को हक नहीं है और सरकारों में दम नहीं। इसलिए आरंभ में दिए गए प्रश्न ‘राजस्थान में सरकार कौन चला रहा है?’ का सबसे सही उत्तर है- अफसरशाही। एक निष्ठुर, संवेदनहीन और दंभी नौकरशाही।
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