यह तो आज एक सर्वविदित तथ्य बन गया है कि सरकारें अधिकारी चलाते हैं, मंत्रिमण्डल नहीं। नेताओं/मंत्रियों की ‘योग्यता’ इसका प्रमाण है। तब मलाई भी अफसर क्यों नहीं खाएं! सरकार इनके अंगूठे के नीचे! युवा देश का कर्णधार-बेकार-बेरोजगार। पर्चे लीक का शिकार।
•Oct 16, 2023 / 11:04 am•
Gulab Kothari
गुलाब कोठारी
यह तो आज एक सर्वविदित तथ्य बन गया है कि सरकारें अधिकारी चलाते हैं, मंत्रिमण्डल नहीं। नेताओं/मंत्रियों की ‘योग्यता’ इसका प्रमाण है। तब मलाई भी अफसर क्यों नहीं खाएं! सरकार इनके अंगूठे के नीचे! युवा देश का कर्णधार-बेकार-बेरोजगार। पर्चे लीक का शिकार। एक सोचा-समझा षडयंत्र। सरकारी नौकरियों में भर्तियां बन्द, वर्षों से आम कर्मचारी संविदा पर। क्यों? सोचा-समझा है यह। बजट नहीं होता इनके लिए। राजस्व की आय वेतन-ब्याज-पेंशन में कम पड़ने लगी। अब तो ब्याज के लिए भी ऋण। योजनाओं और इनके प्रचार के लिए भी ऋण, विकास के लिए भी ऋण, किन्तु कर्मचारियों के वेतन के लिए कोई ऋण का प्रावधान नहीं है। उन्हें संविदा से ही सब्र करना है। लगता नहीं आज तक अंग्रेज ही शासन कर रहे हैं?
हाल ही राजस्थान सरकार ने बीस नए जिले बना दिए, मानो जनता के लिए राशन की दुकानें खोली हों। किसके लिए? अफसरों के लिए, जिनकी पहले से राज्य में कमी महसूस होती रही है। वैसे वीआइपी के आगे-पीछे, बिना प्रोटोकाल के भी, भागते देखे जा सकते हैं। अब नई घोषणा से बीस नए कलक्टर, बीस पुलिस अधीक्षक, संभागीय आयुक्त, प्रत्येक जिले के अधिकारी आदि ठाठ-बाट का जीवन व्यतीत करेंगे। विकास का उदाहरण पिछली बार बने जिले हैं, जो अधिकारियों के दिए दर्द का प्रमाण हैं। करौली, दौसा, प्रतापगढ़, राजसमंद, हनुमानगढ़ आदि में किसी भी जिले का दौरा कर लें, जनता के सेवक कितने ‘राष्ट्रभक्त’ हैं, एक ही दिन में समझ जाएंगे। पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं।
जिस प्रकार सरकारी बिल बनते हैं, कौन नहीं जानता। वहां बजट की चर्चा का क्या काम! आज एक नया जिला बनाने पर 4-5 हजार करोड़ रुपए खर्च होते हैं। बीस जिलों के लिए 80 हजार से एक लाख करोड़ रुपयों की जरूरत पड़ेगी। 2000 से 2500 तक कुल अधिकारी, प्रत्येक जिले में 500-600 कर्मचारी के हिसाब से 10-12 हजार कर्मचारी चाहिए। आज राज्य का बजट है-लगभग 2 लाख 60 हजार करोड़। इसमें इन जिलों का नियमित खर्च होगा लगभग डेढ़ लाख करोड़ रुपए। अफसर तय करेंगे वास्तव में खर्च कितना दिखाना है। फिर सरकारी आवास!
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