Patrika Opinion: घटिया सड़क निर्माण करने वालों का तोड़ें गठजोड़
घटिया सड़कें न केवल लोगों का समय व श्रम बर्बाद करती हैं, बल्कि वाहनों को भारी मात्रा में नुकसान भी पहुंचाती हैं। बढ़ते सड़क हादसों की बड़ी वजह घटिया सड़क को भी माना जाता है। सड़कों की गुणवत्ता में सुधार होगा तो हादसे स्वत: ही कम होंगे, यह उम्मीद की जानी चाहिए।
Self Healing road Construction Technology से गड्ढे होते ही सड़क खुद-बा-खुद हो जाएगी रिपेयर।
पिछले दो दशक के दौरान देश में सड़कों का जाल बिछाने का काम खूब हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर गांव-शहरों को जोड़ने वाली सड़कें भी खूब बनी हैं। पर सड़कों की गुणवत्ता को लेकर जो धारणा देश के हर इलाके में कायम है वह यह कि ज्यादातर सड़कें पहली तेज बरसात भी नहीं झेल पाती हैं। कहीं-कहीं तो सड़कें पूरी तरह ही गायब हो जाती हैं। हमारे देश में सडक़ों की गुणवत्ता को हमेशा संदेह की नजरों से इसीलिए देखा जाता है क्योंकि यह आम धारणा बनती जा रही है कि सड़कों की गुणवत्ता से समझौता करने में नेता-अफसर व ठेकेदारों की तिकड़ी सबसे आगे रहती है। यह गठजोड़ मजबूत होता जा रहा है, इसीलिए भ्रष्टाचार से जुड़े बड़े कामों की सूची में सड़क निर्माण हमेशा ऊंचे पायदान पर रहता आया है।
ऐसा भी नहीं है कि घटिया सड़क निर्माण के लिए संबंधित निर्माण एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान नहीं हो। लेकिन जब सड़कों की गुणवत्ता जांचने का काम भी भ्रष्टाचार की जद में आने लग जाए तो फिर सड़कों की निर्माण सामग्री भी मिलावट से अछूती भला क्यों रहने लगी? खराब सड़कों के कारण बदनामी झेल रही सरकार ने अब ठेकेदारों की जवाबदेही बढ़ाते हुए हाईवे व अन्य सड़कों को दुरुस्त रखने की गारंटी अवधि को पांच साल से बढ़ाकर दस साल करने की तैयारी कर ली है। खराब सड़कें बनाने वाली फर्मों को ब्लैक लिस्ट करने का काम भी होगा। यह काम पहले भी होता आया है, लेकिन भ्रष्टतंत्र की शह पाकर ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार भी नए अवतार धारण कर फिर सड़क निर्माण में घालमेल करने में जुट जाते हैं। देखने-सुनने में तो सरकार के इस फैसले से यही लगता है कि अब सड़कों का घटिया निर्माण करने वालों पर अंकुश लग पाएगा। लेकिन सड़क निर्माण में गुणवत्ता मानकों का ध्यान रखने और भ्रष्टाचार का उन्मूलन करने की इच्छाशक्ति क्या सचमुच अपना असर छोड़ पाएगी, यह देखना है। यह इसलिए भी क्योंकि सड़कों की गारंटी अवधि पहले भी तय होती आई है और गारंटी अवधि से पहले ही सड़कें जख्मी भी होती आई हैं। अब तक कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति ही होती रही है। सड़क निर्माण शर्तों में भी इतनी गलियां छोड़ दी जाती हैं कि लापरवाह ठेकदार व जिम्मेदार अभियंता आसानी से बच निकलते हैं। सड़कों को गुणवत्ता प्रमाण पत्र देने वालों का तो शायद ही कुछ बिगड़ पाता हो।
घटिया सड़कें न केवल लोगों का समय व श्रम बर्बाद करती हैं, बल्कि वाहनों को भारी मात्रा में नुकसान भी पहुंचाती हैं। बढ़ते सड़क हादसों की बड़ी वजह घटिया सड़कों को भी माना जाता है। सड़कों की गुणवत्ता में सुधार होगा तो हादसे स्वत: ही कम होंगे, यह उम्मीद की जानी चाहिए।
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