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आपकी बातः क्या कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन जरूरी हो गया है?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं। उनमें से चुनिंदा प्रतिक्रियाएं:

May 06, 2021 / 05:23 pm

Nitin Kumar

लॉकडाउन

क्या अब लॉकडाउन ही कोरोना के संक्रमण को काबू में करने का एकमात्र उपाय रह गया है?

प्रशासनिक कमजोरियां छिपाने के लिए
लॉकडाउन का सहारा लेना अन्याय

संक्रमण तो सुझाई गई सावधानियां बरतने पर और व्यापक जांच व समय पर इलाज से ही रोका जा सकता है, पूर्ण लॉकडाउन एक अस्थायी उपाय है जो तभी सार्थक हो सकता है जबकि लॉकडाउन के दौरान आम जनता को जीवनयापन में कठिनाई नहीं हो, आवश्यक सामग्री की उपलब्धता व वितरण व्यवस्था सुनिश्चित व सुव्यवस्थित हो एवं लॉकडाउन काल का उपयोग चिकित्सा तंत्र को मजबूत करने एवं चिकित्सा संसाधनों की कमी को दूर करने में किया जाए। किंतु पिछले साल के पूर्ण लॉकडाउन का कड़वा अनुभव यह रहा है कि आम जनता को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और जैसे ही छूट दी गई, संक्रमण तेजी से बढ़ गया। अतः प्रशासनिक कमजोरियों को छिपाने के लिए पूर्ण लॉकडाउन का सहारा लेना अन्याय है, इससे जमाखोरी-कालाबाजारी-अव्यवस्था बढ़ती है।
-गिरीश कुमार जैन, इंदौर

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लॉकडाउन, कोरोना की चेन तोड़ने के लिए जरूरी

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए वर्तमान परिस्थितियों में लॉकडाउन आवश्यक हो गया है। कोरोना की चेन तोड़ने के लिए यह जरूरी है। ‘जान है तो जहान है’ आज भी प्रासंगिक है। जिस प्रकार से बढ़ते कोरोना मरीजों की संख्या से चिकित्सा व्यवस्था चरमरा रही है, अगर लॉकडाउन नहीं लगाया गया तो स्थितियां और भयावह हो सकती हैं।
-कुलदीप सिंह भाटी, सूरसागर, जोधपुर

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लॉकडाउन एकमात्र उपाय

कोरोना संक्रमण रोकने का मात्र एक ही उपाय है लॉकडाउन। कोरोना की दूसरी लहर के लिए प्रशासन से लेकर हर आम आदमी जिम्मेदार है। प्रशासन को सख्ती से कोरोना मरीज जीरो होने तक लॉकडाउन की पालना करवानी चाहिए। मुझे विश्वास है यदि ऐसा किया तो हम कोरोना से जीत जाएंगे।
-रोशनी कश्यप (शिक्षिका) जोधपुर

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फरवरी में आंशिक लॉकडाउन से नियंत्रित रहती दर

विश्व भर में और भारत में कोरोना के संक्रमण की लहर बहुत तेजी से बढ़ी है। केंद्र सरकार व राज्य सरकारों को लॉकडाउन पर पहले ही स्वयं विचार कर फरवरी में आंशिक लॉकडाउन लगा देना चाहिए था जिससे संक्रमण की दर कम हो सकती थी। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से बचने के लिए संपूर्ण लॉकडाउन जरूरी हो गया है। भारत को भी इस महामारी से बचने के लिए दूसरे देशों से इसके प्रबंधन के लिए विचार करना चाहिए।
-आशीष सेन, बघेरा, अजमेर

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जनहित में जल्द कोई कठोर निर्णय लिया जाए

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन (सम्पूर्ण) लगाना ही आज एकमात्र विकल्प बचा है। विभिन्न श्रेणियों में छूट देने से कुछ लोगों की सहानुभूति तो मिल जाती है लेकिन खमियाजा पूरे राष्ट्र को भुगतना पड़ता है। जान है तो जहान है। गत वर्ष सम्पूर्ण लॉकडाउन से पहली लहर से बचाव हो गया था। आज हॉस्पिटल और शमशान की हालत किसी से छुपी नहीं है। जनहित में जल्द से जल्द कोई कठोर निर्णय लेना होगा।
-भगवती लाल जैन, राजसमंद (राजस्थान)

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जीवन बचेगा तो जीने के साधन भी हो जाएंगे

सम्पूर्ण लॉकडाउन निस्संदेह जीवन मूल्य की कीमत से तो सस्ता ही है। अर्थात अभी जिस तेजी से कोरोना फैल रहा है, ऐसे हालात में एक बार पुनः लॉकडाउन लगा देना चाहिए या फिर अभी जहां-जहां कोरोना के केस ज्यादा आ रहे है वहां तो सख्ती से लॉकडाउन का पालन करवाना चाहिए। ये सही है कि आम आदमी को रोजी-रोटी की भी समस्या हो जाती है लेकिन जान है तो जहान है। अगर जीवन होगा तो जीने के साधन तो हो ही जाएंगे। अतः सरकार को वर्तमान स्थिति को काबू में करने के लिए लॉकडाउन के विकल्प पर विचार करना चाहिए। अभी सभी बड़े-बड़े वैज्ञानिकों का भी यही मत है कि कुछ समय के लिए कोरोना की चेन तोड़ने के लिए लॉकडाउन आवश्यक है।
-एस. कपूर, कोटा

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लॉकडाउन के फैसले से भी ज्यादा जरूरी प्रबंधन

लॉकडाउन जरूरी है, फैसला करना भी आसान है, लेकिन सही प्रबंधन उससे भी ज्यादा जरूरी है। यही एकमात्र उपाय है कोरोना के कहर को रोकने के लिए। जान है तो जहान है।
-मनोहर लेखरा, सीकर (राज.)

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आमजन को जागरूक होने की आवश्यकता

कोरोना महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन से ज्यादा आम जन में जागरूकता होनी बहुत जरूरी है जब तक प्रशासन के साथ-साथ जनता स्वयं जागरूक नहीं होगी तब तक किसी भी कीमत पर इस महामारी को नियंत्रण में नहीं ला सकते, उदाहरण के तौर पर इजरायल जैसे देशों में कोरोना महामारी को जनता और प्रशासन के सहयोग से काबू में कर लिया गया है। राज्य सरकारों द्वारा अधिक प्रभावित क्षेत्रों में आंशिक रूप से लॉकडाउन लगाया जा सकता है लेकिन पूर्ण रूप से लॉकडाउन लगाने में आर्थिक मंदी का भी ज्यादा खतरा है इसलिए सरकार को आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए महामारी रोकने के प्रयास करने चाहिए, ताकि जनता भी परेशान न हो और महामारी पर भी काबू पाया जा सके।
-अनिल जांगिड़, आंतरोली, सीकर

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लॉकडाउन के साथ वंचित वर्ग के लिए हों विशेष प्रयास

कोरोना संक्रमण के आंकड़े विकराल रूप ले चुके हैं, स्थितियां गंभीर हैं, विषम हालात में लॉकडाउन भी जरूरी है। लंबे समय से बाजार बंद होने से रोजमर्रा के कामगारों का रोजगार छिन गया है, इसलिए सरकार को चाहिए कि वंचित वर्ग के लिए कुछ खास कदम उठाए। आर्थिक के साथ-साथ सेहत पर संकट ने उन्हें और मजबूर कर दिया है। सरकार द्वारा कुछ विशेष कदम उठाकर वंचित वर्ग को सुरक्षा दी जाए, संभावित खतरों को देखते हुए सब की सुरक्षा पहले है, सरकारों को दीर्घकालिक योजना बनाने की जरूरत है।
-कुमकुम सुथार, रायसिंहनगर, श्रीगंगानगर

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लॉकडाउन से अधिक जरूरी जन-जन में जागरूकता

वर्तमान में भारत में कोरोना का दूसरा चरण आया है। पहले चरण में भी सरकार ने लोगों को जागरूक किया व लॉकडाउन जैसे कदम उठाए थे लेकिन लोगों की लापरवाही व जागरूकता के अभाव के कारण ही देश में कोरोना के मामले बढ़े व वर्तमान में देश की कोरोना के कारण हो रही खराब स्थिति सबके सामने है। जब तक व्यक्ति स्वयं जागरूक होकर व्यवहार नहीं करेगा, सरकार द्वारा किए जाने वाले सभी प्रयास सफलता को प्राप्त नहीं होंगे।
-गिरवर सिंह, कोटा राजस्थान

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स्थिति बहुत चिंताजनक, लॉकडाउन एकमात्र विकल्प

वैश्विक महामारी के इस कठिन समय में वर्तमान समय में देश की स्थिति चिंतनीय हो गई। आवश्यक और जीवन रक्षक सुविधाओं को छोड़ते हुए पूर्णतः लॉकडाउन ही इसका एक विकल्प है। गत वर्ष समय पर लॉकडाउन लगाने से विश्व में हमारी स्थिति नियंत्रण में थी लेकिन आज संक्रमण में हमने अमरीका और अन्य देशों को पीछे छोड़ दिया है, स्थिति बहुत ही चिंतनीय है इसलिए जीवन रक्षक सुविधाएं मुहैया कराने के साथ-साथ पूर्णता लॉकडाउन ही एक विकल्प है। लोगों की जान बचाना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। देशवासियों को स्थिति की गंभीरता और भयावहता को ध्यान में रखते हुए कोरोना प्रोटोकॉल का अक्षरश: पालन करना चाहिए।
-उमाकांत शर्मा, डग, झालावाड़, राजस्थान

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लॉकडाउन न लगाने से अकल्पनीय स्थिति हो सकती है पैदा

लॉकडाउन का निर्णय काफी सोच-समझ कर लिया जाता है। शासन द्वारा लॉकडाउन के घोषणा पर शासकीय कार्य में भारी बाधा आती है एवं देश विकास के रास्ते से काफी पीछे चला जाता है लेकिन सरकार का यह उद्देश्य रहता है कि हम अपने नागरिकों की जान को बचाएं। यदि लॉकडाउन नहीं लगाया जाएगा तो कोरोना संक्रमण से जो अभी भयावहता है उससे कहीं अधिक घातक एवं अकल्पनीय स्थिति पैदा हो सकती है इसीलिए कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन जरूरी हो गया है।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़, कोरिया, छत्तीसगढ़

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लॉकडाउन हटते ही लापरवाही का नतीजा सामने

लॉकडाउन कोरोना का स्थायी समाधान प्रतीत नहीं होता। जब तक स्वयं आम आदमी कोरोना की भयावहता को नहीं समझता, हम कोरोना का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते। पहले भी लॉकडाउन लगा कर देख लिया, परंतु लॉकडाउन हटते ही आमजन अपने कर्तव्य का पालन नहीं करते जिसके परिणाम आज हमारे सामने हैं। सरकार चाहे तो बिना लॉकडाउन के सख्ती चालू रखे, जिससे गरीबों की रोजी-रोटी भी आसानी से चलती रहे।
-विश्वास पारीक, निवाई, टोंक, राजस्थान

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लॉकडाउन की जगह स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर दिया जाए

दरअसल सरकारों की नाकामियां और दूरदर्शिता की कमी का खमियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग समय रहते उचित कदम उठा लेता तो इतनी त्राहि-त्राहि नहीं होती। लॉकडाउन लगाने और बढ़ाने से छोटे व्यवसायियों, गरीब लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है जो मजदूरी कर रोज कमाते-खाते हैं उनका क्या होगा? इस बार हालात पिछले वर्ष जैसे नहीं, लोग पिछले लॉकडाउन के खर्च और कर्ज से आज भी जूझ रहे हैं, महंगाई लगातार आसमान छू रही है। लॉकडाउन की जगह स्वास्थ्य सेवाओं पर जोर दिया जाए।
-नजमुद्दीन शेख, सेंधवा

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राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने किये-कराये पर पानी फेरा

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन एक अनिवार्य विकल्प है, जनता की आवाजाही और बढ़ते संक्रमण को रोकने का सबसे सुरक्षित उपाय है। लेकिन लॉकडाउन के साथ जनता के हितों का ध्यान भी रखना शासन की जिम्मेदारी है। पिछले वर्ष भी लॉकडाउन लगाया गया था, जनता का भरपूर सहयोग मिला, लेकिन देश की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने किये-कराये पर पानी फेर दिया। लॉकडाउन लागू हो लेकिन जनता के साथ अमानवीय व्यवहार न हो, तभी यह सार्थक होगा।
-रोहित दरक, मध्यप्रदेश

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लॉकडाउन आर्थिक व्यवस्था बदतर कर देगा

लॉकडाउन से कोरोना पर काबू तो पाया जा सकता है, लेकिन इससे एक तो देश की आर्थिक स्थिति खराब होगी, दूसरा लोगों का कारोबार, उद्योग-धंधे बर्बाद होंगे और तीसरा बेरोजगारी और बढ़ेगी। कोरोना की दूसरी लहर रफ्तार पकड़ने लगी है। इस पर गौर करते हुए फिर से देश में कहीं-कहीं लॉकडाउन की आवाजें उठ रही हैं, लेकिन क्या कोरोना को हराने के लिए फिर से लॉकडाउन जरूरी है? जब सामाजिक दूरी और मास्क से कोरोना को हराया जा सकता है तो फिर लॉकडाउन से देश को बर्बाद करने की क्या जरूरत? जो लोग कोरोना को लेकर दिए निर्देशों का पालन नहीं कर रहे, उन पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की जाती? लॉकडाउन और लॉकडाउन में मुफ्त का अन्न-धन सरकारों द्वारा बांटे जाने से देश आर्थिक रूप से भी बर्बाद हो जाएगा। देश को भारी आर्थिक मंदी और बेरोजगारी की तबाही से बचाना है तो देश को कोरोना के साथ चलना ही होगा। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कायदे-कानून और नियमों का अनलॉक में भी हर किसी को गंभीरता से पालन करना होगा, क्योंकि अनलॉक का मतलब कदापि यह नहीं कि देश कोरोना मुक्त हो गया है।
-राजेश कुमार चौहान, जालंधर

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लॉकडाउन का सख्त फैसला अब जरूरी

कोरोना की चेन को रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं है, हम सब की है। लेकिन लोगों की लापरवाही की वजह से यह रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। सरकार की गाइडलाइन की पालना सख्ती से नहीं की जा रही, अब सरकार के लिए कोरोना महामारी पर अंकुश लगाने के लिए लॉकडाउन जैसा सख्त फैसला लेना जरूरी है।
-रितु शेखावत, जयपुर

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लॉकडाउन अंतिम विकल्प नहीं

लॉकडाउन कोरोना संक्रमण में कमी ला सकता हैं, किन्तु यह उसका निदान नहीं है। लॉकडाउन के दुष्प्रभावों से आर्थिक पंगुता व भुखमरी आती है, जिससे राष्ट्र के विकास में बाधा पहुंचती हैं। अतः टीकाकरण के बड़े स्तर पर कार्यक्रमों के द्वारा ही कोरोना महामारी से निपटा जा सकता है।
-मनु प्रताप सिंह, चींचडौली, खेतड़ी

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अब विनम्र अपील नहीं, सख्त लॉकडाउन लगे

इस संकट से सामना करने के लिए सम्पूर्ण देश में सरकार को सख्त लॉकडाउन लगाने की जरूरत है जिसके लिए सरकार पर्याप्त पुलिस प्रशासन की व्यवस्था न होने पर केंद्रीय बलों और सेना को मोर्चे पर तैनात कर सकती है। सख्त लॉकडाउन की परिकल्पना को साकार रूप देकर इस महामारी से देश की आवाम को सुरक्षित बचाया जा सकता है। विनम्र अपीलों से इस समस्या से निपटा नहीं जा सकता। अब समय आ गया है कि सेना को आगे रखकर इस आपदा से देश को बाहर निकाला जाए।
-रेखा सोलंकी, आदर्श कॉलोनी, दौसा

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