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अभ्यास से दूर कर सकते हैं मंच का भय, सीखने की ललक हो तो कुछ भी असंभव नहीं

मोटिवेशनल स्पीकर रमेश आंजणा से राजस्थान पत्रिका की विशेष बातचीत, अब तक सौ से अधिक सेमिनार के माध्यम से कर चुके हैं युवाओं का मार्गदर्शन

Dec 11, 2024 / 01:53 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

प्रेरक वक्ता: रमेश आंजणा

प्रेरक वक्ता: रमेश आंजणा

मोटिवेशनल स्पीकर रमेश आंजणा का मानना है कि अभ्यास के जरिए हर चीज हासिल की जा सकती है। निरंतर अभ्यास से न केवल मंच का भय दूर दिया जा सकता है बल्कि प्रभावी प्रस्तुति भी लगातार अभ्यास से ही प्राप्त की जा सकती है। अब तक देशभर में सौ से अधिक मंचों पर सेमिनार एवं व्याख्यान के माध्यम से प्रेरक उद्बोधन दे चुके आंजणा ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में व्यक्तित्व विकास, सेल्फ मोटिवेशन, भाषण कला, मंच का भय दूर करने, सफल प्रस्तुतिकरण समेत अन्य विषयों पर प्रकाश डाला। राजस्थान के जालोर जिले के रानीवाड़ा क्षेत्र के दईपुर निवासी आंजणा यहां हुब्बल्ली में एक कार्यक्रम में प्रेरक वक्ता के रूप में प्रस्तुति देने आए थे। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश:
सवाल: एक सफल एवं प्रेरक वक्ता बनने के लिए किन विशेष बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए?
आंजणा:
अभ्यास के जरिए कोई भी चीज हासिल की जा सकती है। यही बात प्रेरक वक्ता बनने के लिए भी लागू होती है। यदि हम निरंतर अभ्यास करें तो हम प्रभावी प्रस्तुति देने में सक्षम बन सकते हैं। लगातार अभ्यास से ही वक्तृत्व कला में भी निखार आता जाएगा। प्रेरणादायी बातें हमें जीवन में आगे बढऩे की प्रेरणा देती है।
सवाल: आपका किन बातों पर प्रमुख रूप से फोकस रहता है?
आंजणा:
मेरा व्यक्तित्व विकास पर विशेष रूप से फोकस रहता है। साथ ही रामायण, गीता एवं आध्यात्म से जोड़कर प्रस्तुुति देने का प्रयास करता हूं। युवाओं के लिए सेल्फ मोटिवेशन के बारे में टिप्स देने के प्रयास किए जाते हैं। इससे निश्चित ही युवाओं के जीवन में बदलाव आया है। विभिन्न सामाजिक एवं प्रतिभा सम्मान समारोह में युवाओं का करियर गाइडेंस के बारे में मार्गदर्शन किया है। देशभर में विभिन्न मंचों पर प्रस्तुति दी है। पिछले 15 वर्ष में करीब सौ से अधिक सेमीनार एवं व्याख्यान के जरिए युवाओं का मार्गदर्शन किया है।
सवाल: आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या रही है। इस क्षेत्र में कब से हैं?
आंजणा:
मैंने बीस वर्ष तक भारतीय वायु सेना में सेवाएं दी हैं। भारतीय वायु सेना में रहते हुए ही वर्ष 2009 से मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर शौकिया रूप से सेवाएं देता रहा हूं। वर्ष 2021 में सेवानिवृत्ति के बाद इस तरह के व्याख्यान एवं सेमिनार में अधिक भाग लिया है। हिंदी साहित्य में स्नातक एवं स्नातकोत्तर के साथ ही विधि में स्नातक किया। वर्तमान में वकालत के रूप में प्रैक्टिस भी कर रहा हूं।
सवाल: आपकी लेखन में रूचि कब जगी? किन विषयों पर लेखन किया है?
आंजणा:
मैंने अब तक दो पुस्तकें लिखी हैं। पहली पुस्तक- “30 दिनों में प्रभावी और सफल वक्ता बनने के रहस्य” और दूसरी पुस्तक- “जरा सोचकर देखिए”। “30 दिनों में प्रभावी और सफल वक्ता बनने के रहस्य” पुस्तक कोरोना काल के दौरान लिखी थी। करीब दो साल पहले ही इसका प्रकाशन हुआ। यह पुस्तक अमेजन पर बेस्ट सेलर के रूप में है। अभी दो और पुस्तकें प्रकाशन में हैं। एक पुस्तक “आपके जनाजे में कितने लोग आएंगे” और दूसरी पुस्तक “खुद को जानते हो क्या” अगले चार महीने में छपकर आने वाली है।
सवाल: आपका युवाओं के लिए क्या संदेश है?
आंजणा:
मैं युवाओं से यही कहना चाहूंगा कि जीवन में पॉजिटिव सोच रखें। जीवन में आध्यात्म को स्थान जरूर दें। सही सोच के साथ आगे बढ़ेंगे तो निश्चित है हम सब कुछ हासिल कर सकते हैं। मैं अपने व्याख्यान में युवाओं को रोडमैप देता हैं और जिसका वे फोलोव कर आगे बढ़ते हैं।

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