रैगिंग से परेशान इस स्टार बल्लेबाज ने सोची थी आत्महत्या की बात
मशहूर क्रिकेटर सुरेश रैना का कहना है कि बचपन में कुछ कड़वे अनुभवों की वजह से उनके मन में आत्महत्या का विचार आया
नई दिल्ली। टीम इंडिया में अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी के मशहूर क्रिकेटर सुरेश रैना का कहना है कि बचपन में कुछ कड़वे अनुभवों की वजह से उनके मन में आत्महत्या का विचार आया था। रैना ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया।
भारतीय टीम के मध्य क्रम के बल्लेबाज सुरेश रैना ने इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी खराब समय भी देखा है। यहां तक कि उन्होंने एक बार खुदकुशी करने का मन भी बना लिया था। रैना ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में अपने बचपन की घटनाओं का खुलासा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कितनी खराब चीजों से ऊपर उठकर वह अब एक सफल क्रिकेटर बने हैं।
ट्रेन में बांध दिए गए हाथ
रैना ने एक हादसा बताया कि एक बार वे क्रिकेट टूर्नामेंट खेलने के ट्रेन से आगरा जा रहे थे। उनके साथ 12-15 साल के और भी बच्चे ट्रेन में सवार थे। ठंड से बचने के लिए रैना ने किट पहनकर और ट्रेन के फर्श पर अखबार बिछाकर सो गए। लेकिन देर रात उन्हें सीने पर कुछ भारीपन महसूस हुआ। जब उन्होंने आंखे खोली तो पाया कि उनके हाथ बंधे हुए हैं और एक मोटा बच्चा उनकी छाती पर बैठकर उनके चेहरे पर पेशाब कर रहा है। काफी मशक्कत के बाद रैना ने उसे एक घूसा मारा और स्टेशन पर रुकी ट्रेन से नीचे गिरा दिया। रैना की उम्र उस वक्त 13 साल थी और लखनऊ स्पोस होस्टल में रह रहे थे। रैगिंग की ऐसी घटनाओं से परेशान रैना इस वजह से होस्टल छोड़ घर वापस जाने के बारे में भी सोचा था।
मन में आया आत्महत्या का विचार
यहीं नहीं एक बार उनके मन में आत्महत्या करने का भी विचार आया था। रैना अपने कोच के चहेते थे और इसी वजह से उनके होस्टल के कुछ एथलीट उनसे जलते थे। दरअसल, होस्टल में एथलीट रहते थे, जिनका मकसद चार साल यहां अभ्यास करने के बाद सर्टिफिकेट्स के आधार पर सरकारी नौकरी पाने का था। मैं तब अच्छा क्रिकेट खेलता था और इसी वजह से लोग मुझसे जलते थे। जलन की वजह से अन्य एथलीट रैना से आए दिन मारपीट किया करते थे। जिसके कारण उनके मन में आत्महत्या करने का विचार आया।
दूध में डाली जाती थी घास
रैना ने बताया कि कई बार दूध की बाल्टी में घास डाल दिया जाता था। सर्द रात में तीन बजे उनके ऊपर ठंडा पानी डाल दिया जाता था। रैना का कहना है कि वे दूध को चुन्नी से छानकर पीते थे। मन करता था उठकर गलत हरकत करने वालों को पीटें, लेकिन यह भी पता होता था कि अगर एक को मारा तो बाकी के पांच आप पर टूट पड़ेंगे।
हॉकी स्टिक से हुई पिटाई
एक बार रैना को हॉकी स्टिक से भी पीटा गया था। रैना बताते हैं कि एक साथी को तो इतना पीटा गया कि वह कोमा जैसी स्थिति में पहुंच गया। एक दूसरा डरा हुआ था कि अब उसे पीटा जाएगा तो वह छत से कूदने वाला था। मेरे एक दोस्त नीरज और मैंने मिलकर उसे रोका। हमने उसे बोला कि क्या कर रहा हू तू, सबको मरवा देगा। सब कुछ बंद हो जाएगा। उसके बाद पुलिस वाले रात में गश्त करने लगे।
नहीं रोका ट्रक
रैना एक बार मेरठ की ओर जा रहे ट्रक से कहीं जा रहे थे। ट्रक में और भी कई लोग सवार थे। ड्राइवर ने ट्रक रोकने से मना कर दिया। रैना ने बताया कि मैंने सोचा कि आज कुछ कांड होने वाला है। उन्होंने सोचा कि चिकना लड़का है। लेकिन मेरठ के पास एक टॉल बूथ पर मैं किसी तरह उनके चंगुल से निकलकर भाग गया।
रिवॉल्वर रखकर सोते थे एथलीट
प्रतापगढ़, रायबरेली, गोरखपुर और आजमगढ़ से आने वाले एथलीट अपने साथ रिवॉल्वर रखकर सोते थे। हॉस्टल में सुरक्षा का अभाव देखते हुए रैना ने एक साल बाद ही होस्टल छोड़ दिया था। लेकिन रैना के भाई दिनेश उन्हें फिर हॉस्टल पहुंचा दिया। इस बार हॉस्टल प्रशासन ने उनके भाई को सुरक्षा की पूरी गारंटी दी। रैना दोबारा से होस्टल पहुंचे तो उन्होंने अपने गुस्से का इस्तेमाल अपने क्रिकेट प्रदर्शन को सुधारने में किया।
नहीं होते थे रूपए
रैना बताते हैं कि मेरे पास ज्यादा रुपए नहीं होते थे। पापा की ओर से 200 रुपए का मनी ऑर्डर आता था। हम लोग उससे ही समोसा और बिस्कुट खाते थे। मेरे वो दिन बहुत ही मुश्किल भरे थे। लेकिन धीरे-धीरे लोगों का ध्यान मेरे खेल की ओर जाने लगा। जब हम लोग गांवों में क्रिकेट खेलने जाते थे तो हर कोई मुझे अपनी टीम में शामिल करना चाहता था।
जिंदगी बदल गई
मुझे 4-5 छक्के मारने के 200 रुपए मिलते थे। मैंने उन रुपयों से स्पाइक शूज (कील लगे जूते) खरीदे थे। बाद में एयर इंडिया की तरफ से खेलने के लिए रैना के पास ऑफर आया। रैना का कहना है कि इस मौके ने मेरी जिंदगी बदल दी। अगर मैं यूपी में रहता तो छोटे-मोटे गेम खेलकर खत्म हो जाता।
दो मिनट से ज्यादा नहीं करता था बात
1999 में मुझे एयर इंडिया की तरफ से दस हजार रुपए की स्कॉलरशिप मिली। मैंने आठ हजार रुपए अपने परिवार को भेज दिए। घर पर कॉल करने के लिए एक कॉल के चार रुपए लगते थे, ऐसे में मैं दो मिनट से ज्यादा बात नहीं करता था।
समझी पैसों की कीमत
इन सब घटनाओं की वजह से मुझे पैसों की कीमत समझ में आ गई। साल 2003 में रैना इंग्लैंड क्लब क्रिकेट खेलने गए। वहां उन्हें एक सप्ताह क्रिकेट खेलने के 250 पाउंड मिले। बाद में रैना ने साल 2005 में पहली बार भारत की टीम के लिए वन-डे मैच खेला।
धोनी भी सोए जमीन पर
रैना बताते हैं कि सीरीज से पहले कैंप में महेंद्र सिंह धोनी के साथ रूम शेयर किया था। रैना जमीन पर सोते थे क्योंकि वे बेड यूज नहीं करते थे। धोनी भी जल्द ही उनके साथ नीचे सोने लगे। रैना बताते हैं कि धोनी उनके पास आकर कहा कि उन्हें भी बेड पर सोने की आदत नहीं है। एक तरफ धोनी और दूसरी तरफ मैं सोया हुआ था और नीरज पटेल बेड पर पसरे हुए थे।
आईपीएल जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट
आईपीएल रैना की जिंदगी में दूसरा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। उनके घुटने में चोट आ गई और फिर सजज़्री करवानी पड़ी। रैना का कहना है कि यह मेरे लिए मुश्किल भरा दौर था। मैं डर रहा था कि मेरा करियर खत्म हो गया। उस वक्त मुझे मेरे घर के लोन के 80 लाख रुपए चुकाने थे। लेकिन मैं दोबारा से क्रिकेट खेलने लगा।
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