Mobile Ruin Life : मोबाइल का उपयोग कर रहा emotionally weak, डिप्रेशन में youth
Mobile Ruin Life : मोबाइल का उपयोग कर रहा emotionally weak, डिप्रेशन में youth, मेडिकल अस्पताल समेत शहर के मनोचिकित्सकों और मनोवैज्ञानिकों के पास पहुंच रहे
Mobile Ruin Life : जेन जी कैटेगरी जनरेशन खतरे के साये में आ रही है। 18 से 23 आयु वर्ग वाली यह जनरेशन वर्चुअल वर्ल्ड में जीने के कारण रियल इमोशन से अंजान है। जो उन्हें वास्तविक दुनिया से दूर कर डिप्रेशन की ओर ले जा रहा है। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल और शहर के मनौवैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों के पास जेन जी केटेगिरी जनरेशन के युवा पहुंचे रहे है। इनमें कई माइल्ड तो कई सीवियर डिप्रेशन का शिकार हैं।
वर्ष 1998 से 2012 के बीच जन्म लेने वाले बच्चों को जेन जी केटेगिरी में रखा गया है। इसे जेड जनरेशन भी कहते है। यह बच्चे डिजिटल युग में पैदा हुए हैं। इसके चलते इस कैटेगिरी के बच्चों का जीवन जीने का तरीका पहले के बच्चों के मुकाबले बिल्कुल अलग है। यह पूरी तरह से टेक्नो फ्रेन्डली हैं। ये रीयल की जगह वर्चुअली ज्यादा समय बिताते हैं।
Mobile Ruin Life : मेडिकल अस्पताल समेत शहर के मनोचिकित्सकों और मनोवैज्ञानिकों के पास पहुंच रहे
Mobile Ruin Life : जेन जी केटेगिरी वाले अधिकतर बच्चे गैजेट्स में उलझे रहते है। ऐसे में उन्हें सूर्य के प्रकाश से मिलने वाला विटामिन डी नहीं मिल पाता। विटामिन डी की कमी से भी कई बार वे माइल्ड, मॉडरेट और सीविर डिप्रेशन का शिकार हो जाते है। डॉक्टर्स के पास हाल ही में कई ऐसे बच्चे भी पहुंचे, जिनकी उम्र 10 से 15 वर्ष की है और उनमें विटामिन डी की कमी है।
Mobile Ruin Life : जेन जी कैटेगिरी के बच्चों को रीयल लाइफ में परेशानियां आती है। वर्चुअली टाइम बिताने वाले ये बच्चे वास्तविक इमोशन से अनजान रहते हैं। वास्तविक जीवन के चैलेंज और एडजस्टमेंट में भी यह सहज नहीं रहते।
डॉ. ओपी रायचंदानी, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज
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