सरिस्का अभयारण्य में विचरण करने वाले बाघों को अब जमवारामगढ़ अभयारण्य की आबोहवा रास आने लगी है। पिछले कई दिनों से टाइगर एसटी-24 और एसटी-2305 जमवारामगढ़ अभयारण्य क्षेत्र में विचरण कर रहे है। सरिस्का अभयारण्य क्षेत्र में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ा है। पिछले दिनों हुई गणना में बाघों की संख्या 43 पहुंच गई। जिसमें 11 नर बाघ, 14 बाघिन व 18 शावक बताए जा रहे है। बाघों की बढ़ती संख्या के लिहाज से अभयारण्य क्षेत्र का जंगल अब छोटा पड़ने लगा है। जिसके चलते बाघ टेरेटरी की तलाश में जंगल से बाहर निकलने लगे है। डगोता व रायसर नाका क्षेत्र जयपुर से महज 50 किलोमीटर दूर है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार एक युवा बाघ को स्वछंद विचरण के लिए करीब 50 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की आवश्यकता रहती है। 881 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले अभयारण्य क्षेत्र से अभी तक कई गांव भी विस्थापित नहीं किए गए। वर्ष 2004 में इस अभयारण्य क्षेत्र से टाइगर विलुप्त हो गए। जिसके बाद यहां वापस टाइगर बसाने के लिए सवाईमाधोपुर से यहां नर-मादा टाइगर के जोड़ों को विस्थापित किया। वर्ष 2008 से इस अभयारण्य क्षेत्र में बाघों का कुनबा बढ़ने का सिलसिला शुरू हुआ। पिछले वर्ष बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ा है। जमवारामगढ़ अभयारण्य क्षेत्र में टाइगर का मूवमेन्ट होने के कारण वन क्षेत्र में ट्रेप कैमरे लगाए गए है और टीमें नियमित गश्त कर टाइगर की मॉनिटरिंग कर रही है।
अब तक 4 बाघ टेरेटरी की तलाश में निकले सरिस्का अभयारण्य क्षेत्र से टेरेटरी की तलाश में अब तक 5 बाघ बाहर निकल चुके हैं। वन विभाग अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2018 में बाघिन एसटी-9 सरिस्का अभयारण्य क्षेत्र से निकलकर तालवृक्ष की ओर चली गई। जो अभी वहीं विचरण कर रही है।
-टाइगर एसटी-24: सरिस्का अभयारण्य क्षेत्र से निकलकर जमवारामगढ़ अभयारण्य क्षेत्र में आ गया। जो ढाई वर्ष से भी अधिक समय से इसी क्षेत्र में विचरण कर रहा है। -टाइगर एसटी-2303: सरिस्का अभयारण्य क्षेत्र से निकलकर टाइगर एसटी-2303 हरियाणा के रेवाड़ी व नूंह क्षेत्र में चला गया। आवासीय क्षेत्र में जाने के भय से वन विभाग की टीम ने बाघ को वहां से ट्रेंकुलाइज कर बूंदी जिले के रामगढ़ अभयारण्य क्षेत्र में विस्थापित किया।
-टाइगर एसटी-2305: सरिस्का अभयारण्य क्षेत्र से निकलकर टाइगर एसटी-2305 भी जमवारामगढ़ अभयारण्य क्षेत्र में आ गया जो पिछले करीब एक पखवाड़े से इसी क्षेत्र में विचरण कर रहा है। -टाइगर एसटी-2304: सरिस्का अभयारण्य क्षेत्र से निकलकर तालवृक्ष की ओर निकल गया। वन विभाग की टीम उसकी माॅनिटरिंग कर रही है।
ईको टूरिज्म को मिल सकता है बढ़ावा जमवारामगढ़ अभयारण्य क्षेत्र में आए दोनों बाघ यदि इस क्षेत्र को ही अपनी नई टेरेटरी बना लेते हैं तो यहां ईको टूरिज्म के अवसर खुलेंगे। डगोता व रायसर नाका क्षेत्र जयपुर से महज 50 किलोमीटर दूर है।
इनका कहना है…. बाघ स्वछंद विचरण करने वाला होता है। विचरण के दरम्यान दूसरे क्षेत्र में भी निकल जाते हैं। -कृष्णकुमार, क्षेत्रीय वन अधिकारी, टहला
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