नीरव मोदी ही नहीं बल्कि इसने भी लिया बैंक से 110 करोड़ का लोन, अब तक नहीं चुकाया निर्दलीय ने मारी बाजी दरअसल, मुजफ्फरनगर के जिला पंचायत के वार्ड 35 सीट पर भाजपा प्रत्याशी व वर्तमान विधायक विक्रम सिंह सैनी ने जीत हासिल की थी। उनके विधायक चुने जाने के बाद यह खाली हो गई थी। इस सीट पर पूरे जनपद की निगाहें थी। चुनाव में जहां योगेंद्र कुमार को 3096 मत मिले हैं, वहीं निर्दलीय प्रत्याशी कवाल गांव के पूर्व प्रधान सुभानी ने 5485 वोट के साथ विजय हासिल की है।
व्हाट्स ऐप पर यह देख दुल्हन ने जयमाला पर ही दूल्हे को चप्पलों से धुना विधायक की प्रतिष्ठा थी दांव परबता दें कि गुरुवार को हुए उपचुनाव में मतदान के बाद से ही लोगों ने हार और जीत के जोड़तोड़ शुरू कर दी थी। मगर नतीजे ऐसे आएंगे इसका किसी को भी अंदाजा नहीं था। अब देखना यह होगा कि इस सीट को हारने के बाद भाजपा में किस तरह की हलचल होती है। इस सीट पर विधायक विक्रम सिंह सैनी की भी प्रतिष्ठा लगी हुई थी, जो पूरी तरह से धराशायी हो गई। आपको बता दें कि जनपद मुजफ्फरनगर में हुए 2013 में सांप्रदायिक दंगों के बाद से भाजपा के नेता यह कहते दिखाई देते रहे हैं कि भाजपा जिले में कोई चुनाव नहीं हारी। मगर हाल ही में हुए निकाय चुनाव में भाजपा को जनपद में करारी हार मिली थी।
नोएडा: एनकाउंटर का नहीं है खौफ, लूट का विरोध करने पर व्यापारी की गोली मारकर हत्या- देखें वीडियो क्षेत्र के लोगों की जीत वहीं, इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य सुभानी ने कहा कि उनकी जीत को क्षेत्र के लोगों की जीत है। सभी लोगों ने जाति धर्म को पीछे छोड़ते हुए मतदान किया है, जिससे उनकी जीत हुई है और वे उनकी कसौटी पर खरा उतरेंगे।
उत्तर प्रदेश के इन शहरों से उड़ेंगे विमान हिंदू-मुस्लिम एकता का नतीजा उधर, मुजफ्फरनगर के जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पदाधिकारी मौलाना नजर ने उपचुनाव की इस जीत को हिंदू-मुस्लिम एकता का नतीजा करार दिया। उन्होंने कहा कि जनपद में 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद और राष्ट्रीय लोकदल इस मुहिम को लेकर आगे बढ़े हैं। उसी के चलते कव्वाल के पूर्व प्रधान सुभानी को हर बिरादरी हर समाज का वोट मिला है।