नोएडा। उत्तर प्रदेश अपनी सत्रहवीं विधानसभा के चुनाव करने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में कुछ ऐसे सवाल हैं, जो उत्तर प्रदेश की जनता के मन में हमेशा आते रहते हैं। मसलन, क्या इस बार उत्तर प्रदेश अपराधी प्रवृत्ति के उम्मीदवारों से बच पाएगा या राजनीतिक दल जीतने की ‘योग्यता’ को ध्यान में रखकर इस बार भी अपराधियों को टिकट देने से नहीं हिचकिचाएंगे।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव बाद जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वर्तमान 403 सदस्यों की विधानसभा में 189 उम्मीदवार दागी हैं। यह आंकड़ा लगभग 47 फीसदी है। यानी लगभग आधे माननीय विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने चुनाव के समय दिए गए हलफनामे में खुद यह स्वीकार किया था कि उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, इनमें से सबसे ज्यादा दागी विधायक सपा से हैं।
98 पर हत्या व दुष्कर्म जैसे आरोप यहां यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि 98 जनप्रतिनिधियों (कुल का 24 फीसदी) के खिलाफ हत्या, अपहरण व दुष्कर्म जैसे गंभीर आपराधिक मामले न्यायालयों में चल रहे हैं।
पिछली विधानसभा के मुकाबले बढ़ी संख्या इससे पूर्व की 2007 की विधानसभा में यह आंकड़ा 140 था, जो कि कुल विधायकों का 35 फीसदी के बराबर था। वर्तमान विधानसभा के चुनाव के पूर्व राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ जबरदस्त मुहिम चलाई गई थी। शायद इसी का परिणाम था कि राज्य के चुनाव में कुख्यात अपराधी डीपी यादव, मुन्ना बजरंगी, अतीक अहमद ब्रजेश सिंह, अभय सिंह और मदन भैया जीत हासिल नहीं कर पाए थे, लेकिन अन्य छोटे-बड़े अपराधियों के चुने जाने से यह आंकड़ा पिछली विधानसभा से भी ज्यादा बुरा हो गया।
सपा प्रत्याशी पर हत्या के तीन दर्जन मामले इसी के साथ मामले का एक पहलू यह भी है कि सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के मित्रसेन के खिलाफ रिकॉर्ड तीन दर्जन आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से चौदह मामले हत्या से संबंधित हैं। वह बीकापुर सीट से जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे हैं।
सुशील सिंह पर हत्या के 12 मामले आपराधिक मामलों के आधार पर सकलडीहा से चुनकर आए सुशील सिंह दूसरे स्थान पर हैं, जिन पर हत्या के 12 मामले सहित कुल 20 मामले चल रहे हैं। इस क्रम में तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी के ही रामवीर सिंह आते हैं, जिनके ऊपर आठ हत्याओं के साथ कुल 18 मामले विचाराधीन हैं।
भाजपा व कांग्रेस के विधायक भी दागी ऐसा नहीं है कि आपराधिक माननीयों के मामले में अन्य दल पीछे हैं। कम या ज्यादा हर दल में लोकतंत्र को शर्मसार करने वाले ऐसे विधायक मौजूद हैं। बहुजन समाजवादी पार्टी के टिकट पर बुलंदशहर से चुनकर आए विधायक मुहम्म्द अलीम खान से के ऊपर एक हत्या सहित तीन मामले चल रहे हैं। कांग्रेस के टिकट पर पिंडरा से जीतकर आए अजय के ऊपर तीन हत्या सहित आठ मुकदमे चल रहे हैं। वहीं, भाजपा भी ऐसे लोगों को अपनाने में पीछे नहीं रही है। उसके टिकट पर फेफना से जीते उपेंद्र के ऊपर पांच हत्याओं के साथ कुल ग्यारह मामले चल रहे हैं।
इस बार भी एेसी ही रह सकती है स्थिति
अभी तक बांटे गए टिकटों की स्थिति को देखकर तो ऐसा नहीं लगता कि फिलहाल उत्तर प्रदेश की जनता को इन आपराधिक माननीयों से छुटकारा मिल पाएगा। अंतिम स्थिति के लिए लोगों को उम्मीदवारों द्वारा नामांकन में हलफनामा दिए जाने तक का इंतजार करना होगा।
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