सुप्रीम कोर्ट की वकील फराह फैज ने अपने धर्म परिवर्तन पर किया बड़ा खुलासा कही ये बात
देवबंद। एक टीवी डिबेट शो में एक मौलवी को थप्पड़ मारकर सुर्खियों में आई सुप्रीम कोर्ट की वकील फराह फैज ने दारुल उलूम देवबंद और उलेमा के खिलाफ सोमवार को एक बार फिर जमकर जहर उगला। उन्होंने कहा कि उलेमा का स्थान गद्दियों पर नहीं, जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए। वहीं रविवार को राजपूत वंश में आने वाले अपने बयान पर उन्होंने कहा कि मेरे वंशज ठाकुर थे। इसमें कोई झूठ नहीं है। हमारा गोत्र चौहान था। मेरे पूर्वज कन्वर्ट हुए थे। मैं फराह फैज़ हूं और फराह फैज ही रहूंगी । मैं मुसलमान राजपूत हूं।
मुसलमान राजपूत हो जाने से मुझे कोई यह नहीं कह सकता कि यह इस्लाम की जानकर नहीं है। मुझे पूरी तरह से इस्लाम की जानकारी है और पूरी तरह से अल्लाह की शरीयत का पता है। लेकिन मौलानाओं की शरीयत को मैं बिल्कुल भी नहीं जानती। मौलानाओं की शरीयत को वे खुद जानते हैं और लोगों को अमल कराते हैं, ताकि वह चुनाव के समय पर जनता के वोटों का सौदा कर सकें। उन्होंने कहा कि मैं तीन तलाक की लड़ाई लड़ रही हूं।
यह भी देखें-सुप्रीम कोर्ट की महिला वकील ने देवबंद दारुल उलूम पर साधा निशाना कही यह बात तीन तलाक का फैसला सुप्रीम कोर्ट से आ गया है। लेकिन उसके बाद में सबसे पहले अमित शाह ने यह कहा था कि अब इस पर कानून बनाने की कोई ज़रूरत नहीं है। इस पर मैंने कहा था कि जब तक कानून नहीं बनेगा, तब तक इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हिन्दू महिलाओं के लिए तो पहले से ही कानून बना हुआ है। जो महिलाएं इस्लाम धर्म में आ रहीं हैं। वह अच्छा है, उनका वेलकम करें। जब हमारे देश में हिन्दू, सिख, ईसाई सबके लिए फैमिली ऐक्ट है तो मुसलमानों के लिए क्यों नहीं होना चाहिए, सिर्फ इसलिए कि मौलाना नहीं चाहते। उन्होंने आरोप लगाया कि मौलाना चाहते हैं कि अंग्रेजों का बनाया हुआ 1937 का शरई एक्ट कायम रहे।
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