बता दें कि गौतमबुद्धनगर में आम्रपाली बिल्डर को करीब 42 हजार फ्लैट देने हैं। जिनके लिए वह बायर्स से 70 से 80 फीसदी तक रकम भी वसूल चुका है। कई साल बाद भी बायर्स अपने घर मिलने की आस लगाए बैठे हुए हैं। अब आम्रपाली ग्रुप के अधूरे प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (NBCC) ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हामी तो भर ली है, वह इसमें पैसा खर्च नहीं करेगा।
सुनवाई के दौरान एनबीसीसी की ओर से एडिशनल सॉलीसिटर जनरल पिंकी आनंद ने बताया कि आम्रपाली के सभी प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए करीब 8500 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। जिसके बाद सुनवाई कर रहे जस्टिस अरुण मिश्रा ने इसके बाद आम्रपाली ग्रुप के वकील से पूछा कि क्या आप अपनी सारी संपत्तियां एनबीसीसी को सौंप सकते हैं? जिसके बाद वकील ने उन्हें बेचने वाली संपत्तियों की जानकारी दी।
वहीं बायर्स का आरोप है कि भाजपा ने केंद्र और प्रदेश में आने से पहले उनके घर दिलाने का वादा किया था। लेकिन कई साल बाद बीतने के बाद भी सरकार द्वारा बिल्डर के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। आम्रपाली बायर्स एसोसिएशन मेंबर के.के कौशल का कहना है कि हम लोगों को मोदी और योगी सरकार से काफी उम्मीदे थीं, लेकिन जुमलेबाजी के अलावा हमें कुछ नहीं मिला। जिसके बाद हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हमें उम्मीद है कि जल्द ही आम्रपाली बिल्डर पर सख्ती बरती जाएगी और हमें हमारे घर दिए जाएंगे।