सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा में जो क्वारंटाइन नियम लागू हो रहा है, उसकी जांच यूपी सरकार करे। कोई भी आदेश राष्ट्रीय स्तर पर जारी गाइडलाइंस के विपरीत नहीं हो सकता। ऐसा होने पर अव्यवस्था और अराजक स्थिति पैदा होती है। मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि गृह सचिव ने हरियाण, दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकार के साथ बैठक की है। जिसके बाद दिल्ली-हरियाणा सरकार ने आवाजाही पर रोक हटा दी है। लेकिन, उत्तर प्रदेश कोरोना को लेकर चिंतित है। उत्तर प्रदेश सरकार सिर्फ आवश्यक सेवाओं की आवाजाही को अनुमति देना चाहती है।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश दिल्ली में 32 हजार से अधिक कोरोना के केस हैं और एक हजार से अधिक मौत हो चुकी हैं। वहीं गाजियाबाद और नोएडा में अब तक 40 लोगों की मौत हुई है। दिल्ली की आबादी की बात करें तो वह नोएडा और गाजियाबाद से चार गुना है, लेकिन संक्रमण की दर 40 गुना अधिक है। दिल्ली सरकार संक्रमित लोगों को होम क्वारंटाइन कर रही है।
इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या यूपी सरकार संक्रमितों को इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन कर रही है। अगर मरीज असिम्प्टोमटिक है, तो क्या उसे भी इंस्टीट्यूशनल क्वारंटाइन किया जा रहा है या उन्हें होम क्वारंटाइन किया जा रहा है। साथ ही नोएडा या गाजियाबाद से लगे दिल्ली के बॉर्डर को खोलने में क्या दिक्कत आ रही है। इसकी जांच यूपी सरकार करे और पूरी जानकारी पेश करे। इस पर यूपी सरकार के वकील ने कहा कि सरकार केंद्रीय गाइडलाइन का पालन कर रही है। मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी।