पंडित चंद्रशेखर शर्मा बताते हैं कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था। शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान विष्णु का भक्त था। इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से होती है भगवान शिव की नहीं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार जलंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा के अंश से तुलसी का जन्म हुआ था, जिसे भगवान विष्णु ने पत्नी रूप में स्वीकार किया है। इसलिए तुलसी से भी शिव जी की पूजा नहीं होती है।
कहा जाता है कि तिल भगवान विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ था। इसलिए इसे भोलेनाथ पर अर्पित नहीं किया जाता। टूटे हुए चावल
शास्त्रों में लिखा है कि टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता है। इसलिए यह शिव जी को नही चढ़ाना चाहिए।
यह सौभाग्य का प्रतीक है, जबकि भगवान शिव वैरागी हैं। इसलिए शिव जी को कुमकुम कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। हल्दी
हल्दी का संबंध भगवान विष्णु और सौभाग्य से है। इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए।
नारियल देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, जिनका संबंध भगवान विष्णु से है। इसलिए नारियल भी कभी भगवान शिव को नहीं नहीं चढ़ाना चाहिए। sawan 2018 : सावन की तारीख को लेकर आप भी तो नहीं कर रहे गलती